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रविवार, 7 अक्तूबर 2012

मानस मंत्रो से करे अपनी मनोकामना पूर्ति


परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
जिला- सिरोही (राज.) 307512
मो. 9001742766,09001846274,02972-276626
Email-pariharastro444@gmail.comतुलसीदास ने भगवती शिव की कृपा से रामचरित मानस की रचना की थी। रामचरित मानस के प्रत्येक दोहा स्वयं एक सम्पूर्ण मंत्र है। संस्कृत मंत्रो का शुद्ध उच्चारण एवं उनकी साधना विधि को हर कोई नही कर सकता है। इसी कारण इन मानस मंत्रो का साधको के लिए उच्चारण हिन्दी भाषा के कारण सरल है। ये मंत्र कभी अशुभ फल नही देते। इसी कारण आमजन भी इसका पाठ कर अनुकूल लाभ प्राप्त करते है। इप मंत्रो को आप स्वंय करे एवं संभव होने पर जप का दशांश हवन भी किसी के मार्गदर्शन में कर सकते है। मानस मंत्र स्त्रियां भी अपनी मनोकामना के अनुसार कर सकती है। केवल रजस्वला अवधि में इन्हे मंत्रो का जाप नही करना चाहिए।
    किसी भी मानस मंत्र का जाप जैसे-जैसे बढता जाता है। वैसे-वैसे उसकी फल प्राप्ति भी बढती जाती है। मंत्र जाप का प्रारंभ आप अपनी मनोकामना के अनुसार सिद्ध दिवस का चयन करे। इसके लिए आप स्वंय पंचांग देखकर दिवस एवं समय का निर्धारण करे। ऐसा न हो सके तो किसी ज्योतिष की सलाहलेकर मंत्र जाप प्रारंभ करे। जिस प्रकार अन्य मंत्रों का जाप करते है। उसी प्रकार इन मंत्रो का जाप भी पूर्णत पवित्र होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर करना चाहिए। अन्य मंत्रों का जाप करने से पूर्व जिस प्रकार विलोचन या विनियोग किया जाता है। उसी प्रकार मानस मंत्र का जाप करने से पहले रक्षा मंत्र का ग्यारह बार जाप करना चाहिए है। मंत्र इस प्रकार है-
            मामभिरक्षय रघुकूल नायक।
           घृत वर चाप रूचिर कर सायक।।
इसके पश्चात अपने अनुकूल मंत्र का जाप प्रारंभ करना चाहिए। मंत्र जाप करते समय श्री राम पंचायत का चित्र अपने घर में लगाए। उन्हे धुप दिप,पुष्प,गंध अर्पित करे एवं कोई मिष्ठान का भोग लगाए। इसके पश्चात मंत्र का जाप प्रारंभ करना चाहिए। अन्य मंत्रों की भांति इन मंत्रों को भी सिद्ध करके जाप किया जाए तो इसका परिणाम भी अच्छा रहता है। जिस मंत्र को आप सिद्धा करना चाहते है। उस मंत्र को किसी शुभ समय में ग्यारह माला जाप करना चाहिए। अन्तिम माला जाप करते समय मंत्र के अन्त में स्वाहा लगाकर आहुति देनी चाहिए। मानस मंत्रों की सिद्धि करते समय हवन में पिपल या आम समिधा का प्रयोग किया जाता है। इनके उपलब्ध न होने की स्थिति में जंगल में से अर्थात ऐसे उपले जो थेपे हुए ना हो। हवन सामग्री में गाय का घी, शक्कर, कपुर, केसर, चंदन, तिन, अगर, तगर, चावल, जौ, नागरमोथा एवं नारियल का प्रयोग किया जाता इन सभी हवन सामग्री को एक पात्र में मिलाकर हवन करने से पूर्व तैयार करे। सामग्री कम या अधिक कोई को तो इनकी कोई चिंता नही करे। सभी सामग्री का अंश हवन करते समय आहुति में आना चाहिए। मंत्र जाप एवं हवन करते समय आप उतर की और मुंह करके पाठ करे तो अच्छा। अन्यथा पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके भी आप ईशान में पूजा धर होने पर कर सकते है। मंत्र का इस प्रकार जाप करने के पश्चात मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर प्रतिदिन नियत समय स्थान पर एक माला जाप करना चाहिए ताकि आपको दिन प्रतिदिन शुभ फलों की प्राप्ति भी बढती रहें। आपकी मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष मानस मंत्र दिए जा रहे है। जिसमे से आप भी अपनी ईच्छा के अनुसार मानस मंत्र का चयन कर प्रयोग कर सकते है।
शीघ्र विवाह के लिए
तब जनक पाई बसिष्ठ आयसु,ब्याह साज संवारि कै।
मांडवी श्रृत किरति उर्मिला, कुंअरि लई हंकारि कैं।।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरू ग्रह गये पढन रघुराई।
अलप काल विद्या सब आई।।
ग्रह प्रवेश या किसी अन्य प्रदेश में व्यापार प्रारंभ करते समय
प्रबिसि नगर कीजे सग काज।
हृदय राखि कौसलपुर राजा।।
सुख सम्पति प्राप्ति हेतु
जे सकाम नर सेनहि जे गावहिं।
सुख सम्पति नाना विधि पावहि।।
आपसी प्रेम बढाने के लिए
सब नर करहि परस्पर प्रीति।
चलाहि स्वधर्म निरत श्रति नीति।।
रोगनाशः उपद्वनाश हेतु
देहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज लही काहु विधि  व्यापा।।
वशीकरण के लिए
करतल बान धनुष अति सोहा।
देखत रूप चराचर सोहा।।
सभी विपतियों के नाश के लिए
राजिव नयन धरें धनु सायक।
भगत बिपति भजन सुखदायक।।
भागयोदय के लिए
मंत्र महामनि विषय ब्याल के।
मेटत कठिन कुअंक भाल के।।
संतान प्राप्ति के लिए
एहि विधि गर्भ सहित सब नारी।
भई हृदय हरषित सुख भारी।।
बा दिन ते हरि गर्भहि आये।
सकल लोक सुख संयति छायें।।
निर्धनता निवारण हेेतु
अतिथि पुज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारी के।।
शत्रुता निवारण हेतु
गरल सुधा रिपु करहि मिताई।
मोपद सिंधु अनल सितलाई।।
ज्वर नाश के लिए
सुनु खगपति यह कथा पावनी।
त्रिविध ताप भव भय दावनी।।
अकाल मृत्यु दोष दूर करनें हेतु
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हारा कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।
कोर्ट केस में विजय प्राप्ति हेतु
पवन तनय बल पवन समाना।
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कबि उर अजिर न चावहि बानी।।
व्यक्तित्व में निखार हेतु
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहूं।
सो तेहि मिलई न कछु संदेहूं।।
मोक्ष प्राप्ति हेतु
मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुवीर।
अस विचारि रघुवीर मनि हरहु विषय भव भीर।।
परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
जिला- सिरोही (राज.) 307512
मो. 9001742766,09001846274,02972-276626
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