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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

मंगली दोष का प्रभाव कब तक

परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
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मंगल दोष के बारे में अधिक जानकारी हेतु आप मेरे द्वारा लिखित मंगल दोष पीड़ा और परिहार पुस्तक का अध्धयन करे ............ 
प्राचीन काल से मंगली दोष के प्रभाव काल के बारे मे विद्वानो  मे मतभेद रहा है । कुछ विद्वान मंगली दोष का प्रभाव काल 28 वर्ष की आयु तक मानते है तो कुछ जीवनभर । देखा भी जाए तो जिस प्रकार किसी क्रिया की प्रतिक्रिया होती है । उसी प्रकार किसी विषय वस्तु पर एकाधिक विचारधाराए भी अवश्य मिलती है । शास्त्रो के अनुसार मंगल को युवावस्था का कारक माना जाता है । इसलिए अधिकांश विद्वान तर्क देते है कि मंगली दोष का प्रभाव युवावस्था मे ही रहती है तो अन्य विद्वान विंशोतरी दशा को ध्यान मे रखकर कहते है कि कोई भी ग्रह अपना शुभाशुभ फल अपने दशाकाल मे ही विशेषतया देते है । प्राचीन काल मे जब विवाह 12-13 वर्ष की आयु मे ही हो जाता था तब मंगली दोष का प्रभाव 28 वर्ष की आयु तक माना जा सकता था लेकिन वर्तमान मे युवा वर्ग अपने कैरियर को विवाह की बजाय अधिक ध्यान देते हे जिससे २८ वर्ष की आयु सीमा का महत्व कम हो जाता हैं । ऐसी स्थिति मे मंगली दोष का प्रभाव ऐसे जातको पर नही होना चाहिए परंतु वास्तव मे ऐसा संभव नही बन पाता ।
मंगली दोष का प्रभाव दाम्पत्य जीवन के अलावा शिक्षा ,कैरियर ,रिश्ते ,स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति ,संतान सुख आदि पर भी पडता है । वर्तमान मे मंगली दोष दाम्पत्य जीवन के लिए अशुभ मानते है। इस आधार पर देखा जाए तो मंगली दोष का प्रभाव दाम्पत्य जीवन को निराशामय बना देता है । पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव जैसे जैसे बढता जा रहा है वैसे वैसे दाम्पत्य जीवन भी निराशा भरा बनता जा रहा है । आज आपको कही भी ऐसी धटनाएॅ देखने या सुनने को मिल जाती है विवाह के 10-15 वर्ष पश्चात पति पत्नी मे परस्पर तर्क वितर्क ,मारपीट ,असहयोग , आत्माहत्या या हत्या जैसी स्थिति बन जाती है ।वूद्वावस्था मे भी दम्पति मे परस्पर कलह रहना , एकांतप्रियता आदि स्थिति देखी जा सकती है परंतु व्याहारिक रूप से देखा जाए तो वुद्वावस्था मे परिपक्पता के कारण ऐसी धटना नही होनी चाहिए । सामाजिकता के कारण ऐसे दम्पति साथ मे रहते जरुर हैं परंतु एक -दुसरे के सुख -दुख मे सहयोग नही दे पाते । पति का किसी अन्य स्त्री के साथ संबंध या पत्नी का किसी पर पुरूष के साथ संबंध होने कारण भी दाम्पत्य जीवन क्लेशमय बना रहता है। इसके कारण भी कई बार अनहोनी धटित हो जाती है । आए दिन समाचार पत्रो मे आपको पढने को मिल जाएगा कि अमुक स्त्री ने अपने प्रेमी के संग मिलकर अपने पति कि हत्या कर दी । क्या यह मंगली दोष का प्रभाव नही । इस बारे मे मेरा कहना है कि मंगली दोष का प्रभाव है लेकिन ऐसा प्रभाव एकाध कुण्डलियों मे ही देखने को मिलता है। आज आपको 80 %कुण्डलिया मंगली दोष से ग्रसित मिलेगी ।जिसमे से 20 प्रतिशत कुण्डलियो मे मंगली दोष भंग कि स्थिति मिलेगी । 20 प्रतिशत कुण्डलियो वाले जातको का मंगल मिलप्न हो जाने से मंगली दोष का प्रभाव कम हो जाता है। शेष जातको को मंगली दोष का प्रभाव किसी न किसी रुप मे भुगतान पडता है। इन में से कुश जातक भाग्यशाली होते हे कि उनके जीवन में मंगल की महादशा आती ही नही तो कुछ जातक विवाह पूर्व ही मंगल की महादशा से गुजर चुके होते है। मंगली दोष का प्रभाव मैने  अपने अनुभव मे पाया है कि जीवन भर इसका प्रभाव रहता है। परंतु युवावस्था में विशेष रूप प्रभाव विधमान रहता है। जैसे जैसे उम्र बढती जाती है। वैसे वैसे इसका उग्र प्रभाव  कम होता जाता है। मंगली दोष हाने पर यदि मंगल के साथ पापग्रह स्थित हो तो इसका नकारात्मक प्रभाव बड़ जाता है।यदि  युवावस्था मे ही इसकी दशा भी प्रारंभ हो जाए तो दाम्पत्य जीवन नरक बन जाता है। परंतु शुभग्रहो का मंगल पर प्रभाव हाने पर मंगली दोष कम होकर दाम्पत्थ जीवन में अनबन रहती है। वैचारिक मतभेद एवं क्लेश की स्थिति बनने पर भी पारिवारिक सहयोग एवं सामाजिक बंधन के कारण मंगली दोष का प्रभाव दम्पत्य जीवन को बनाए रखता है । कई बार ऐसा भी होता कि मंगली दोष के कारण दम्पति मे परस्पर सहयोग एवं समर्पण दिखाई देता है परंतु उसके स्वास्थ्य संबध पीडा होती है। मंगली दोष कि स्थिति मे स्त्री को मासिक स्त्राव कम या अधिक होने ,पुरुष गुप्त रोग का प्रकोप एव आक्समिक दुर्घटना के कारण अंग भग कि स्थिति बनती है। युवावस्था मे इस प्रकार कि समस्या अधिक देखने को मिलती है। लेकिन निश्चित समयावधी पश्चात ऐसी समस्याएं कम होने लगती है। अर्थात मंगली दोष का प्रभाव युवावस्था पर अधिक घातक रुप  से पडता है। आपने भी कई बार देखा या सुना होगा कि उस व्यक्ति कि शादी के तुरंत पश्चात बारात लैाटते समय आक्समिक दुर्धटना के कारण मृत्यु हो गई । तो कुछ आक्समिक दुर्धटना के कारण अपाहिज हो जाते है।ऐसे  मामलो मे देखा गया हें। की मगल पर केतु का अशुभ दृष्टि प्रभाव पड रहा होता है। मंगल केतु कि युति होने पर भी इस प्रकार कि दृर्धटना होते देखी गई है। ऐसे जातक जिसमे जन्मांग मे मंगल शनि, मंगल केतु- सूर्य या मंगल राहु कि युति होकर मगंली दोष बन रहा हो तो उन्हे विवाह से पूर्व किसी ज्योतिषि का मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करना चाहिए । ऐसी  स्थिति मे भाग्य के भरोसे रहना समझदारी नहि कही जा सकती । यदि आपका विवाह होने वाला है एव आपको छोटी छोटी दुर्धटनाए होती रहती है। ’तो भी आप किसी योग्य ज्योतिषि का मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करे । मंगली दोष का सबसे अधिक प्रभाव विवाह के पश्चात पांच वर्ष  तक रहता है। ऐसी स्थिति मे मंगली दोष जब मारक बन रहा हो तो जीवन साथी द्वारा हत्या या हत्या का प्रयास करना, दुर्घटना मे अंग भंग होना ,आक्समिक दुर्घटना के कारण मृत्यु तक हो जाती है। इसलिए मंगली दोष से ग्रस्त ऐसे जातक दाम्पत्य जीवन अच्छा होने पर भी भावी अनिष्ट कि आशंक के निवारण के लिए मंगल को शुभ बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए । हो सकता है आपके द्वारा किए गए उपायो से मंगली दोष कि तीव्रता कम होकर आपको सामान्य पीडा ही दे सके अर्थात उपाय करते रहने पर आपकि पीडा अवश्य कम होती है।
मंगली दोष का प्रभाव आजीवन रहने पर भी इसकि तीव्रता युवावस्था के पश्चात कम हो जाने से दम्पति सामंजस्य स्थापित कर लेते है। परंतु जब मगल पाप ग्रहो से युति कर स्थित हो तो मंगली दोष कि तीव्रता आजीवन बनी रहती है। ऐसे जातको को विशेषतया मंगल या संबधित पापग्रह जब गोचर मे अशुभ बन रहे हो, नीच राशि से गुजर रहे हो,मंगल कि दशा -अन्तर्दशा, प्रत्यान्तर दशा चल रही हो या संबधित पापग्रह कि दशा- अन्तर्दशा ,प्रत्यन्तर दशा चल रही हो तब इन्हे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। दम्पति मे परस्पर मंगल का मिलान हो जाने पर पीडा कम हो जाती है। परन्तु सामान्य परेशानी समय विशेष पर अवश्य बनी रहती है।मंगल दोष के बारे में अधिक जानकारी हेतु आप मेरे द्वारा लिखित मंगल दोष पीड़ा और परिहार पुस्तक का अध्धयन करे

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