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बुधवार, 7 नवंबर 2012

दीपावली पर कैसे करे महा लक्ष्मी पूजन

परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
जिला- सिरोही (राज.) 307512
मो. 9001742766,9001846274
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हिन्दुओ के लिए दीपावली पर्व का बहुत अधिक महत्त्व हैं |समस्त भारत में और विदेशो में भी जहा भारतीय मूल के लोग रहते हैं |वहा यह त्यौहार हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता हैं |इस दिन लोग श्रद्धा और विश्वास के साथ लक्ष्मी ,गणेश और सरस्वती का पूजन करते हैं |महा लक्ष्मी पूजन के बारे में तंत्र शास्त्रों में बताया गया हैं की कार्तिक अमावस्या अर्थात दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी विश्व भ्रमण पर भगवान विष्णु के साथ निकलती हैं इस यात्रा में वे जहा -जहा पर अपनी पूजा अर्चना और दीप प्रज्वलन देखती हैं ,वहा -वहा पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाती जाती हैं | रूद्र यामल तंत्र के अनुसार जब सूर्य और चन्द्र तुला राशी में गोचर वश  भ्रमण करते हैं तब लक्ष्मी साधना करना बहुत ही लाभदायक होता हैं और यह समय दीपावली काल ही होता हैं .................इस वर्ष १३ नवम्बर २०१२ को ७ बजकर १३ मिनट के पश्चात् अमावस्या रहेगी | दीपावली पूजन के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न विशेष रूप से शुभ माने गए हैं ......
प्रदोष काल स्थानीय सूर्यास्त काल से २ घंटा ४० मिनट तक होता हैं और वृष और सिंह लग्न स्थिर लग्न होने से दीपावली पूजन में सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं |इसमे वृषभ लग्न सायकाल में और सिंह लग्न  निशीथ काल में आता हैं |आप अपनी राशी के अनुसार किसी एक लग्न में पूजन करे जो लग्न आपकी राशी से ६ ,८ ,१२ हो वह लग्न आपके लिए अशुभ हैं | मिथुन तुला और धनु राशी वाले .............लक्ष्मी पूजा सिंह लग्न में ही करे तभी इन्हे लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होगी | कन्या ,मकर और मीन  राशी वाले .............वृषभ लग्न में ही लक्ष्मी पूजन करे तभी इन्हे महा लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी | शेष राशियों वाले किसी भी लग्न में अपनी स्थिति अनुसार पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं | जिनकी राशी और लग्न दोनों से कोई लग्न ६ , ८, १२ वा लग्न बन रहा हो उन्हें विशेष रूप से इस समय अर्थात लग्न का ध्यान रखना चाहिए | दीपावली की रात्रि को महा निशा काल की संज्ञा दी गयी हैं | इसीलिए तंत्र साधक इस दिन का विशेष इंतजार करते हैं परन्तु वर्तमान में आमजन भी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहता हैं इसीलिए इस दिन का महत्त्व अत्यधिक बढ़ जाता हैं 
महा लक्ष्मी पूजन ........
सर्व प्रथम आप अपने लिए शुभ लग्न का चयन करे | इस समय से पूर्व नहा धोकर पवित्र होकर शुद्ध स्वच्छ वस्त्र धारण करे | आजकल लक्ष्मी पूजन सामग्री पैकेज उपलब्ध रहते हैं, इनकी व्यवस्था करे और शेष सामग्री आप स्वयं एकत्रित करे | आपको पूजन में निम्न सामग्री की आवश्यकता रहेगी .........
सामग्री ...........लक्ष्मी ,गणेश और सरस्वती का संयुक्त चित्र ,कलश ,बाजोट ,लाल कपडा , पान , सुपारी ,नारियल ,एकांक्षी  नारियल ,रौली ,मौली ,साबुत अक्षत ,रुई ,घी ,तेल ,अगर बत्ती ,बताशे ,सफ़ेद मिष्ठान्न ,स्फटिक श्री यंत्र ,दक्षिण वर्ती शंख  ,पंचामृत ,सिंदूर ,पुष्प ,पुष्प माला ,कमल फुल ,कुमकुम, ऋतुफल ,इलायची ,चन्दन ,कपूर 
सर्वप्रथम आपको अपने पूजा घर में जाकर बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर लक्ष्मी गणेश सरस्वती का संयुक्त चित्र स्थापित करे | फिर स्फटिक श्री यंत्र ,दक्षिणा वर्ती शंख और एकांक्षी  नारियल को स्थापित करे अब आप किसी आसन पर सपरिवार पूर्व या उत्तर की तरफ मुख कर बैठ जाये | सारी सामग्री को अपने पास ही व्यवस्थित रख ले अब धुप दीप जलाये .....
अब आप सर्व प्रथम शरीर की शुद्धता के लिए निम्न मन्त्र बोलकर आचमन करे--ॐ केशवाय नमः ,ॐ नारायणाय नमः ,ॐ माधवाय नमः,अब हाथ धोकर निम्न मन्त्र बोले ..ॐ हृषीकेशाय   नमः
आचमनी में जल लेकर निम्न विनियोग बोले --
ॐ अपवित्र पवित्रो वा वेत्यस्य वामदेव ऋषि विष्णुर्देवता गायत्री छन्दः हृदि पवित्रिकरने विनियोग  | अब जल को छोड़ देवे 
अब निम्न मन्त्र बोलकर अपने शरीर और पूजा सामग्री पर जल छिडके --
ॐ अपवित्र पवित्रोर्वा सर्वावस्था गतोअपी वा 
यः स्मरेत पुन्दरिकाक्ष्म स  ब्राह्याभ्यंत्र   शुचिः
     आसन शुद्धि के लिए धरती का स्पर्श कर विनियोग बोले --
ॐ पृथ्वीति मंत्रस्य मेरु पृष्ठ ऋषिः सुतलं छन्दः कुर्मो देवता आसने विनियोगः 
अब निम्न मन्त्र बोलकर आसन पर जल छिड़के ...
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी 
त्वं विष्णुना धृता त्वं च धारय मां देवी  
पवित्रं कुरु चासनम |
इसके पश्चात् प्राणायाम करे --
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम ॐ तत्स वितुर्वरेन्य भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात ॐ आपो ज्योति रसो अमृतं ब्रह्म भूभुर्वः स्वरों 
अब कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधकर निम्न मन्त्र बोलकर तिलक लगाये    
     ॐ चन्दनस्य महतपुण्यम पवित्रं पाप नाशनम 
आपदम हरते नित्यम लक्ष्मिस्तिष्ठ्ती सर्वदः
अब दाये हाथ में जल ,अक्षत और पुष्प लेकर संकल्प करे ......
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्री मद भगवतो महापुरुषस्य विश्नोराज्ञा प्रवर्त मानस्य ब्रम्हानोअहिं द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वाराह कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अष्ट विंशति तमे कलियुगे कलि प्रथम चरणे जम्बू द्वीपे भारत वर्षे आर्या वर्तेक देशे अमुक नगरे २०६९ विक्रमाब्दे विश्वावसुनाम संवत्सरे कार्तिक मासे अमावस्या तिथो मंगल वासरे  अमुक लग्ने शुभ मुहूर्ते  अमुक गोत्र अहम् श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलवाप्ती कामनाया ज्ञाता ज्ञात  कायिक वाचिक मानसिक सकल पाप निवृति पूर्वकं मां सर्व पाप शांति पूर्वकं दीर्घायुष्य बल पुष्टि नैरुज्यादी सकल शुभ फल प्राप्त यर्थमगृहे सुख शांति प्राप्त यर्थम श्री महा लक्ष्मी पूजन कुबेरादी पूजनम करिष्ये 
संकल्प बोलने के पश्चात् जल ,पुष्प और अक्षत को जमीन पर छोड़ देवे   अब अक्षत और पुष्प लेकर भगवान गणपति का ध्यान करे--
सुमुखश्चैक दंतश्च कपिलो गज कर्नकः
लम्बोदरश्च विकटो विघ्न नाशो विनायकः 
धूम्र केतुर्गना ध्यक्शोभालचन्द्रो  गजाननः 
द्वादशे तानी नामानि यः पठेच्छ्रुनुयादापी 
यह बोलकर पुष्प और अक्षत गणेशजी के सामने अर्पित करे अब निम्न मन्त्र बोलकर आह्वान करे --
ॐ गणानाम तवं गणपतिमःहवामहे प्रियाणाम  त्वं प्रियपतिः हवामह निधीनाम त्वं निधिपतिमः हवामहे वसो मम अहम् जानि गर्भधमा त्वंजासी गर्भधम 
ॐ भूभुर्वः स्वः सिद्धि बुद्धि सहितायगणपतये नमः गंपतिमा वह्यामी स्थापयामि पूजयामि च 
इसके पश्चात् निम्न मन्त्र बोले --
अस्यै प्राणाःप्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाक्षरन्तु च 
अस्यै देव त्वंचार्ये मामहेति च किंचन 
गजाननम सुप्रतिष्ठ्ते वरदे भवेताम     
प्रतिष्ठा पूर्वकं आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि 
गज़ाननाभ्यम   नमः अक्षत छोड़ देवे 
अब जल के छींटे देते हुए पाद्यं ,अर्ध्यम ,आचमनीयम समर्पयामि बोले
सर्वांगे स्नानम समर्पयामि बोलकर जल के छींटे देवे 
सर्वांगे शुद्धोदक  स्नानम समर्पयामि बोलकर शुद्ध जल से स्नान कराये
   सर्वांगे पंचामृत  स्नानम समर्पयामि बोलकर पंचामृत  से स्नान कराये
सुवासितम इत्रं समर्पयामि बोलकर इत्र अर्पित करे 
वस्त्रम समर्पयामि बोलकर वस्त्र अर्पित करे 
गंधं समर्पयामि बोलकर गंध अर्पित करे 
पुष्पानी समर्पयामि बोलकर पुष्प अर्पित करे 
दुर्वं समर्पयामि बोलकर गणेशजी को दूर्वा अर्पित करे 
अक्षतं समर्पयामि बोलकर गणेशजी को अक्षत अर्पित करे 
सिंदुरम समर्पयामि बोलकर सिंदूर अर्पित करे 
 दीपकम दर्शयामि बोलकर दीपक दिखाए 
नैवैध्य्म समर्पयामि बोलकर नैवैध्य चढ़ाये 
ऋतू फलम समर्पयामि बोलकर ऋतुफल चढ़ाये 
आचमनीयम जलम समर्पयामि बोलकर जल के छींटे देवे 
ताम्बूलं  समर्पयामि बोलकर पान सुपारी चढ़ाये  
दक्षिणाम समर्पयामि बोलकर दक्षिणा चढ़ाये   
अब गणपति को प्रणाम कर चतुर्दश  देवताओ को प्रणाम करे--
रिद्धि सिद्धि सहिताय महा गणपतये नमः ,श्री लक्ष्मी विष्णुभ्याम  नमः,श्री उमा महेश्वरभ्याम नमः,ॐ शची पुरन्दराभ्याम नमः,श्री कुल देवता भ्याम नमः,श्री इष्ट देवतायाम नमः,श्री ग्राम देवतायाम नमः ,श्री स्थान देवतायाम नमः ,श्री माता पिता नमः,श्री सर्व ब्राह्मनायाम  नमः,श्री महा लक्ष्मी ,महा काली ,महा सरस्वत्ये   नमः 
इसके पश्चात् दक्षिणावर्ती शंख पूजन गणेश पूजन के जैसे ही करे --
त्वं पूरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृत करे 
निर्मितः सर्व देवाश्च पांचजन्य नमो अस्तुते 
इसके पश्चात् एकंक्षी नारियल पूजन करे --
ध्यान मन्त्र ...
द्विजत्श्चैक नेत्रस्तु नारिकेलो महीतले 
चिंतामणि समः प्रोक्तो वान्चितार्थ प्रदानतः
आधि भुतादी व्यधिनाम रोगादि भय हारिणी
  विधिवत क्रियते पूजाः संपत्ति  सिद्धि दायकं
मन्त्र --
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीम ऐं महा लक्ष्मी स्वरूपायएकंक्षी नारिकेलाय नमः सर्व सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा 
इसके पश्चात् निम्न मन्त्र बोलकर कलश का पूजन करे --
कलशस्य मुखे विष्णुः कंठे रूद्र समाश्रितः 
मुले तस्य स्थितो ब्रह्म मध्ये मात्र  गण स्मृताः   
कुक्षौ तू सागराः सर्वे सप्त द्वीपा वसुंधरा
ऋग वेदोअथ यजुर्वेदः सामवेदो अथर्वनमः 
अंगेश्च सहितासर्वे कलशम तू समाश्रिता 
अत्र गायत्री सावित्री शान्तिः पुष्टिकरी तथा 
सर्वे समुद्रः सरित स्तिर्थानी जलदा नदाः
आयान्तु देव पूजार्थ दुरित क्षय कारकाः
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती 
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन सन्निधिम कुरूम
अब नव ग्रहों का ध्यान कर नव ग्रह पूजन करे ----
ब्रह्मा मुरारी स्त्रिपुरान्त्कारी भानुः शशि भूमि सुतो बुधश्च 
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः  सर्वे ग्रह शान्तिकरा  भवन्तु   
इसके पश्चात् षोडश मातृका पूजन करे ---
गौरी पद्मा शची मेधा सावित्री विजया जया
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातरः 
धृतिः पुष्टिस्था तुष्टिरा तमन कुलदेवता 
गनेशेनाधिका ह्रोता वृद्धो पूज्यश्च षोडशः 
अब लक्ष्मी पूजन करे --
महा लक्ष्मी का ध्यान ---
या सा पद्मासन स्था विपुल कट तटी पदम् पत्राय ताक्षी
गंभीरा वर्तना भिश्तनभरन मिता शुभ वस्त्रोत्तरिया
या लक्ष्मी दिव्य रुपैर्मणि गण खाचिते स्नापिता हेमकुम्भे
सा नित्यम पदम् हस्ता मम गृहे वसतु सर्व मांगल्यथूकता 
ॐ महा लक्ष्म्ये नमः ध्यानार्थे पुष्पानी समर्पयामि   
फुल अर्पित कर आह्वान करे 
सर्व लोकस्य जननीम सर्व सौख्य प्रदायिनिम
सर्व देव मयि मिशाम देविमा वाहयाभ्यम
ॐ महा लक्ष्म्ये नमः महा लक्ष्मीमावाह्यामी आवाहनार्थे पुष्पानी समर्पयामि 
इसके पश्चात् लक्ष्मीजी को सामग्री अर्पित कर पूजा करे ---
अब अष्ट सिद्धियों का पूजन करे ---
महा लक्ष्मी के पास पूर्वादी क्रम से ... १..ॐ अनिमने नमः पूर्व में २..ॐमहिम्ने नमः अग्नि कोण में ३..ॐ गरिम्ने नमः दक्षिण में ४..ॐ लघिम्ने नमः नैरित्य  में ५..ॐ प्राप्तये नमः पश्चिम में ६..ॐ प्रकाम्ये नमः वायव्य में ७..ॐ इशिताये नमः उत्तर में ८..ॐ वशिताये नमः ईशान में
इसके पश्चात् अष्ट लक्ष्मी का पूजन करे --
अब पूर्वादी क्रम से महा लक्ष्मी के पास कुमकुम युक्त अक्षत और फूलो से पूजा करे --
   १..ॐ अध्य लक्ष्म्ये नमः २..ॐ विद्या लक्ष्म्ये नमः ३..ॐ सौभाग्य लक्ष्म्ये नमः ४..ॐ अमृत लक्ष्म्ये नमः ५..ॐ काम लक्ष्म्ये नमः ६..ॐ सत्य लक्ष्म्ये नमः ७..ॐ भोग लक्ष्म्ये नमः ८..ॐ योग लक्ष्म्ये नमः 
इसके पश्चात् देहली विनायक पूजन करे --
ॐ देहली विनायकाय नमः बोलकर पूजन करे 
अब पैन पर मौली बंधकर निम्न मन्त्र बोलते हुए पुष्पदी चढाते हुए पूजा करे --
लेखनी निर्मित पूर्वं ब्रह्मानाम  परमेष्ठिना  लोकानाम च हितार्थाय तस्मात्तम पूज्या मह्यम ॐ लेखनी दैव्ये नमः  
शास्त्रानाम व्यव्हारानाम विद्या नामा म्नुयाध्यतः अत्स्त्वाम पुज्यश्यामी मम हस्ते स्थिरा भव  
अब लेखा पुस्तिका पर स्वस्तिक बनाये और निम्न मन्त्र बोलकर --सरस्वती का पूजन क रे --
ॐ वीणा पुस्तक धरिन्ये श्री सरस्व्त्ये नमः 
इसके पश्चात् कुबेर का आह्वान कर पूजन करे ---
आवाहयामि देव त्वमिहायाही कृपाम कुरूम कोशम वर्दय नित्यम तवम परिरक्ष सुरेश्वरः इसके बाद ॐ कुबेराय नमः बोलकर कुबेर देव का पूजन करे 
दीपक पूजन ----
त्वं ज्योतिस्तव्म रविश्चंद्रो विध्यु दग्निश्च तारकाः सर्वेषाम ज्योतिषं ज्योतिर्दीपवल्ये नमो नमः  
इसके बाद आरती कर महा लक्ष्मी से अपने घर में रहने की प्रार्थना करे इस प्रकार लक्ष्मी पूजन करने से आप पर माता लक्ष्मी की कृपा अवश्य होगी           

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