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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

धन तेरस को दीपदान क्यों

 परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
जिला- सिरोही (राज.) 307512
मो. 9001742766,9001846274,02972-276626
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धन तेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाती हैं | इस दिन में संध्या काल में दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता हैं | इससे अकाल मृत्यु का भय नही रहता | इसके पीछे एक कथा प्रचलित हैं की प्राचीन काल में हेम नामक एक राजा था | देव कृपा से उन्हें अनेक उपाय करने पर पुत्र सुख प्राप्त हुआ | जब राजा हेम ने अपने पुत्र की कुंडली बनाकर भविष्य कथन कराया तो पता चला की इस बालक की मृत्यु विवाह के चार दिन पश्चात् ही हो जाएगी | इस पर राजा बहुत दुखी हुआ और उसने पुत्र को ऐसे स्थान पर भेज दिया जहा किसी स्त्री की परछाई भी उस पर नही पड़े | एक बार  संयोगवश एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दुसरे को देखकर मोहित हो गए | जब प्यार परवान चढ़ा तो उन्होंने गंधर्व विवाह कर लिया |
विवाह के चार दिन पश्चात् ही विधि के विधान के अनुसार यमदूत राजकुमार का प्राण हरण करने आये तब यमदूत नवविवाहिता के विलाप को सुनकर द्रवित हो गये परन्तु वे विधि के विधान के विपरीत नही जा सकते थे ,इसीलिए उन्हें प्राण हरण करना पड़ा  | इस पर यमदूत ने यमराज से प्रार्थना कर पूछा की कोई ऐसा उपाय नही हैं जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके | तब यमराज ने कहा की अकाल मृत्यु पुर्वजन्मो  के कर्मो के परिणाम स्वरूप होती हैं परन्तु जो मनुष्य कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके मेरे नाम से पूजन कर दीपदान करता हैं उसे अकाल मृत्यु का भय नही रहता | तभी से दीपदान किया जाता हैं |
 कुछ शास्त्रों में वर्णन हैं की राजा हेम का पुत्र विवाह के चार दिन पश्चात् ही सर्प के काटने से मरणासन्न स्थिति में पहुँच गया | तब उसकी नवविवाहिता ने पति के शारीर के चारो तरफ गहने ,जवाहरात ,हीरे ,मोती फैला दिए |अन्य जगह वर्णन हैं की यमराज सर्प बनकर उसका प्राण हरण करने आये तो नवविवाहिता ने पति के शारीर के चारो तरफ हीरे , मोती ,जवाहरात ,गहने फैला दिए जिसकी चकाचौंध और मोह वश सर्प रूपी यमदूत उस पर कुंडली मारकर बैठ गए और नवविवाहिता के गानों से मस्त होकर पूरी रात गुजर गयी | रात गुजरने के साथ ही मृत्यु काल टल गया | तभी   से धन तेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान दक्षिण दिशा की तरफ मुख रखकर किया जाता हैं और धन संपत्ति की पूजा भी की जाने लगी | इसीलिए आप भी इस दिन यमराज के निमित्त दीपदान और धन संपत्ति की पूजा अवश्य करे |

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