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शनिवार, 3 नवंबर 2012

संतान सुख का नाश करता हैं राहु

परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
जिला- सिरोही (राज.) 307512
मो. 9001742766,9001846274,02972-276626
ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया हैं | पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा एक निश्चित पथ पर करती हैं और चन्द्र भी पृथ्वी की परिक्रमा एक निश्चित पथ पर करता हैं और दोनों अपनी परिक्रमा  के दौरान एक दुसरे को एक रेखा पर काटते हैं | इनमे से एक बिंदु से चन्द्र ऊपर और दुसरे बिंदु से चन्द्र निचे की तरफ जाता हैं |  इन्ही बिन्दुओ को राहु और केतु की संज्ञा दी गयी हैं | राहु और केतु खगोलीय बिंदु हैं जो चन्द्र के पृथ्वी के चारो तरफ चक्कर लगाने से बनते हैं | ये केवल गणितीय आधार पर ही बनते हैं | इनका कोई भौतिक अस्तित्व नही होने और काल्पनिक होने के कारण ही इन्हे  छाया ग्रह कहा जाता हैं |
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु को शनिवत माना गया हैं | राहु की दृष्टि जिस भाव पर पड़ती हैं उस भाव का सुख जातक को जीवन में प्राप्त नही होता हैं | उस भाव का सुख जातक को जैसे ही प्राप्त होने वाला होता हैं वैसे ही जातक के जीवन में कुछ ऐसी घटना घटित होती हैं की जातक को उसका सुख नही मिल पाता जैसे संतान आशा होने पर गर्भपात या कुछ और परेशानी होना जिससे संतान का सुख नही मिल सके | जन्मांग चक्र का पांचवा भाव संतान भाव माना जाता हैं | इस भाव का कारक वृहस्पति को माना गया हैं और पंचमेश ग्रह भी संतान सुख का करक बनता हैं | राहु को ज्योतिष में सर्प और केतु को सर्प की पूंछ माना हैं | इसी आधार पर ज्योतिष शास्त्र में राहु के कारण जब संतान बाधा का योग बनता हैं तो उसे सर्प शाप दोष के नाम से जाता हैं | सर्प शाप दोष के कारण कब जातक को संतान सम्बंधित परेशानी जातक को राहु ग्रह  से पैदा होती हैं | इसके कुछ  योग निम्न हैं ..........
१..पंचम भाव में राहु हो और मंगल उसे देखता हो तब सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं |
२...पंचम स्थान में शनि हो ,पंचमेश राहु से युति कर स्थित हो और चन्द्र उसे देखता हो तो सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं |
३...पंचमेश मंगल हो ,पंचम भाव में राहु हो ,पर राहु पर शुभ ग्रहों  का कोई प्रभाव नही हो तो सर्प शाप से संतान हानि होती हैं |
४..राहु पंचम भाव में हो और पंचमेश मंगल अपने ही नवांश में स्थित हो तो सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं |
५..लग्न म राहु हो और पंचमेश त्रिक भाव में हो |
६..पंचम भाव में सूर्य ,मंगल ,शनि और राहु हो ,लग्नेश और पंचमेश  बलहीन हो तो सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं |
७..पुत्रकारक ग्रह राहु से युति कर स्थित हो और पंचम भाव और पंचमेश शनि से दृष्ट हो |
८ ..कर्क या धनु लग्न में पंचमस्थ राहु बुध से युति -दृष्टि कर स्थित हो तो सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं | कर्क लग्न में बुध बारहवे भाव और तीसरे भाव का मालिक होने से अशुभ ग्रह होता हैं |
९..लग्नेश और पंचमेश  पर राहु का युति दृष्टि प्रभाव हो तो सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं |
१०..वृहस्पति पर राहु का युति दृष्टि प्रभाव हो तो सर्प शाप के कारण संतान हानि होती हैं |
चन्द्र को भी लग्न की तरह माना गया हैं | सुदर्शन चक्र के अनुसार भी जब राहु इस प्रकार से प्रत्येक लग्न को पीड़ित करे तो सर्प शाप प्रबल होता हैं जिससे संतान का सुख कमजोर रहता हैं | यदि आपकी कुण्डली में भी इस प्रकार का योग बनता हैं तो आप इसका उपाय कर राहत प्रदान कर सकते हैं |

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