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बुधवार, 19 सितंबर 2012

आइये जाने कैसे करे गणपति को प्रसन्न


ज्योतिषाचार्य वागा राम परिहार Tel -०२९७२-२७६६२६,09001846274 ,०९००१७४२७६६२६ ] 
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............................... हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है| गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करनेवाले, भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश का आविर्भाव हुआ था | भगवान गणेश  के जन्मदिवस पर मनाया जानेवाला यह महापर्व गणेश चतुर्थी के रूप   में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया  जाता है| कथानुसार एक बार पार्वती स्नान करने जा रही थी | स्नान करते समय माता ने अपने  मैल से एक सुन्दर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा| फिर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर माता पार्वती स्नान करने लगी | थोड़ी देर बाद जब भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया| गणेश ने भगवान् शिव को बताया की माता पार्वती का सख्त आदेश हैं की जब तक स्नान नहीं कर  लिया जाये तब तक   अंदर आने की अनुमति किसी को नही दी जाये | भगवन शिव ने गणेश को बहुत समझाया पर वे नही माने |। इस पर शिवगणोंने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु  युद्ध में उसे कोई पराजित नहीं कर सका। तब इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए|जब मां पार्वती ने गणेश  का  कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गई. तब ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया. भगवन शिव ने  उनके अनुरोध को स्वीकारते हुएकहा की उत्तर दिशा में जो जिव सबसे पहले मिले एवम जिसकी माँ ने उसकी तरफ पीठ की हो उस जीव का सर काटकर लाया जाये |इस पर  एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया|  माता पार्वती ने हर्षातिरेक से उस गजमुखबालक को अपने हृदय से लगा लिया और देवताओं में गणेश को अग्रणी होने का आशीर्वाद दिया। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने भी उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्यहोने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक गणेश को आशीर्वाद देते हुए  कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। इस प्रकार गणेश का नया जीवन  भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को मिला तभी से इसे गणेश चतुर्थी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता हैं | इस महापर्व पर लोग प्रातः काल उठकर शुभ मुहूर्त में  गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करते हैं| विशेष कार्य सिद्धि मन्त्र  -
१-गणेश गायत्री -
ॐ एकदंताय विद्महे वक्र तुन्डायधीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात
२-ऊच्छिष्ट गणपति मंत्र -
ॐ हस्ती पिशाची लिखे स्वाहा |
इस मन्त्र से श्वेतार्क गणपति का पूजन करने से सब इच्छा पूरी होती हैं |
३-मोहिनी गणेश मन्त्र
ॐ वक्र तुन्दैक दंष्ट्राय क्लीम श्रीं गं | गणपतये वर वरद  सर्व जनम में वशमानय स्वाहा |
यह मंत्र वशीकरण  करने में प्रयोग होता हैं |
४-गणेश  जी के बारह नामो  का पाठ करने से भी आपकी समस्याओ का समाधान होता हैं |धुप दीप जलाकर पाठ करे  
     इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाता हैं और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होती हैं । रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश जी की पूजा  करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अ‌र्घ्यदेकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्षपर्यन्तश्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन  निषेध किया गया है।

जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा  देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक लगता  है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। भगवन कृष्ण पर भी सम्यन्तक मणि चुराने का आरोप इसी कारण लगा था| यदि  जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न उपाय  अवश्य कर लेना चाहिए-
१-मन्त्र का जप १०८ बार करे
'सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥'
२- सोमवार का व्रत करे |
३-माता का अपमान नही करे एवम सोमवार को सफ़ेद वस्तुओ का दान करना भी दोष नाशक हैं |  

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