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रविवार, 16 सितंबर 2012

संतान नाशक योग एवं उपाय

संतान  नाशक योग एवं उपाय
[ज्योतिषाचार्य वागा राम परिहार 09001742766]
परिहार ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र,
आमलारी ,सिरोही [राजस्थान ]
वंश वृद्धि की बेल को बढाने के लिए वृद्धावस्था मे देखभाल एवं पुत्र द्वारा अंतिम संस्कार करने से मुक्ति  के लिए संतति होना आवश्यक ही नही बल्कि अनिवार्य भी है। कुछ  जातको को शादी के कुछ समय पश्चात ही संतति सुख प्राप्त होता है तो कुछ जातको को कई वर्ष व्यतीत होने के पश्चात एवं कुछ जातक आजीवन सुख से वंछित रहते है। विज्ञान की प्रगति  के फलस्वरूप कुछ जातको को संतान सुख कृत्रिम गर्भाधान द्वारा  हो भी जाता है लेकिन प्रबल बाधा होने पर सुख मिलना असंभव ही रहता है।
ज्योतिष में "पुत्रदिवमहीषपुत्रपितृधीपुष्यानि संचित्ये" के अनुसार पंचम भाव संतान सुख का प्रतिनिधित्व करता है। कारक ग्रहो मे  वृह  को संतान सुख का कारक माना जाता है। संतान सुख हेतु पंचमेश  का बलवान होना एवं पंचम भाव , कारको पर  शुभ  ग्रहो का अधिक प्रभाव संतान सुख अवश्य देता है लेकिन इन कारको पर पाप ग्रहो का प्रभाव, कारको की नीच राशि नीच नवाशं, षढबलहीन, शत्रु राशि,अस्तगत स्थिति सन्तान सुख मे बाधा कारक होती है। बाधा कारक योगो की पहचान कर उनका उपाय करने पर संतान सुख प्राप्त होता है। संतान प्रतिबंध के योग एवं उपाय -
1, शनि की अधिष्ठित राशि से षष्ट स्थान पर यदि चन्द्र, बुध सूर्य की दृष्टि हो। व लग्न पर पापग्रहो की दृष्टि हो या शनि की राशि मे सूर्य हो तथा सूर्य पापग्रहो से दृष्ट हो,पापग्रहो  के वर्ग मे हो और लग्नस्थ हो तो कुल देवता के दोष के कारण जातक संतानहीन होता है। कुलदेवता से संतान हीनता होने पर कुलदेवता की पुजा अर्चना विधि विधान से नियमित करे साथ ही पंचमेश ग्रह  का उपाय करने से संतान सुख प्राप्त हो जाता है।
2, यदि पंचम भाव, पंचमेश व कारक वृह पर राहु का अशुभ प्रभाव हो तो जातक को सर्प हत्या जनिक दोष के कारण संतान हीनता होती है। दोष निवारण हेतु स्वर्ण निर्मीत नागराज की मुर्ती की पुजा करे एवं गोदान तीलदान व स्वर्णदान कर ऊँ नमोस्तु सर्पोभ्यो मंत्र का दस हजार जप करने से नागराज की कृपा से वंश चलता है।
3, यदि चन्द्र, कर्क राशि एवं चतुर्थ भाव पर पाप ग्रहो का प्रभाव हो, कर्क राशि मे मंगल राहु स्थित हो, चन्द्र अपनी नीच राशि, नीच नवांच या त्रिक भावो मे स्थित हो तो मातृ दोष के कारण संतान बाधा होती है। बाधा निवारण हेतु समुद्र तट पर स्नान करना, गायत्री मंत्र के 1 लाख बार जाप, चांदी के पात्र मे दुध का सेवन करना लाभदायक एवं पीपल की परिक्रमा करने से दोष दूर होकर संतान सुख प्राप्त होता है।
4, तृतीय भाव, तृतीयेश व मंगल पर पाप प्रभाव होकर पंचम, पंचमेश से योग बनाय या तृतीयेश व मंगल पंचमेश  के साथ त्रिक भावों में हो तो भातृशाप के कारण संतान बाधा  होती है। हरिवंश पुराण का श्रवण, चान्द्रायण व्रत करने पीपल की  पूजा करने से संतान सुख प्राप्त होता है।
5, पंचम भाव, पंचमंश व कारक वृह पर बुध का अशुभ प्रभाव हों एवं इन पर शनि राहु केतु का प्रभाव भी पडता दिखे  मातुल शाप के कारण संतान बाधा पैदा होती है। इस हेतु विष्णु प्रतिमा स्थापना पूज्य करना परोपकारार्था कुआ बावडी, तालाब खुदाई एवं छात्रो को विद्यालयी सामग्री का दान करने से शाप निवारण होकर संतान सुख प्राप्त होता है।
6, यदि पंचमेश या नवमेश होकर वृह, शनि राहु केतु मंगल के प्रभाव में होकर या त्रिक भाव में होकर निर्बल भी हो तो ब्राह्मण शाप के कारण संतान बाधा होती है। निवारण हेतु कन्यादान गरीब ब्राह्मण का सहयोग, स्वर्ण, पुखराज दानं, धर्मस्थान मे पीले फलदान करने से संतान सुख प्राप्त होता है।
7, संतान बाधा कारक ग्रहो के अनुसार उपाय करना यथा बुध, शुक्र व चन्द्र दोष कारक हो तो रूद्राभिषेक, वृह बाधाकारक हो तो मंत्र, यंत्र व औषध, सूर्य, मंगल, शनि, राहु व केतु के लिए कुलदेवता की उपासना करने से बाधा दूर होती है। ऐसा जातकालंकार का मत है। मंत्र हेतु वृह मंत्र ऊँ ग्रां ग्रीं  ग्रौ सः गुरवे नमः,गायत्री मंत्र एवं वृह यत्रं, पुखराज धारण करना सर्वोतम उपाय है।
      प्रबल दोष होने पर उपाय अधिक समय तक करने की आवश्यकता रहती है। सामान्य दोष में उपाय करने के कुछ समय परश्चात् ही संतान सुख प्राप्ति संभव है। लेकिन प्रबल दोष का उपाय बहुत देरी से होता है। अतः धैर्य  रखकर पूर्ण श्रद्धा व विशवास के साथ उपाय करना ही संतान सुख दे सकता है। जातक का अपनी कुण्डली के विश्लेषण से निर्णय कर उपाय करना लाभदायक रहता है |

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