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मंगलवार, 23 जुलाई 2013

कहाँ हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग?

 
(ज्योतिषाचार्य वागाराम परिहार)
भगवान शंकर के भक्तों के लिये उनके द्वादशज्योतिर्लिंगों का दशर्न मोक्ष प्राप्ति से कम नहीं है। इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का अर्थ है, भगवान् शिव के सभी विशिष्ट रूपों का दर्शन। भगवान् शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों के मन्दिरोें को लेकर जनमानस में ही नहीं, वरन् पुराणों में भी मतभेद हैं। कई ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों के रूप में जाने जाते है, लेकिन वास्तव में कौनसे ज्योतिर्लिंग ही भगवान् शिव के वास्तविक द्वादश ज्ष्योतिर्लिंग है और वे कहाँ स्थिति है, यह बताना ही इस लेख का प्रमुख उद्देश्य है। द्वादश ज्ष्योतिर्लिंग के सम्बन्ध में निम्नलिखित स्तोत्र प्रसिद्ध है:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोक्ङारममलेश्वरम्।।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशक्ङरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत्।
सर्वपापविनिर्मुक्तः सर्वसिद्धिफलों भवेत्।।
इस आधार पर सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल, मल्लिकार्जुन, उज्जैन के श्रीमहाकालेश्वर, श्रीओंकारेश्वर और श्रीअमलेश्वर या श्रीममलेश्वर, हिमालय में श्रीकेदारनाथ, डाकिनी प्रदेश के श्रीभीमशंकर, वाराणसी के श्रीविश्वनाथ, गौतमीतट पर श्रीत्र्यम्बकनाथ, श्रीवैद्यनाथ, श्रीनागेश्वर, सेतुबन्ध के श्रीरामेश्वरम् और श्रीघुश्मेश्वर ज्योतिर्लिगों में सम्मिलित हैं।
परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
जिला- सिरोही (राज.) 307512
मो. 9001742766

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