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शनिवार, 27 जुलाई 2013

कालसर्प योग शांति के उपाय

कालसर्प के कारण किसी जातक को जब परेशानियो का सामना करना पडता है तो उसे कालसर्प कि शांति करना समझदारी है ।  इसके दोषो को दुर करने हेतु  कुछ विशेष रूप से करना करना पडता है कालसर्प के दोषो को दुर करने हेतु कुछ सामान्य उपाय दिण् ज रहे है जिसके करने पर जातक को अवश्य राहत प्राप्त होती है सामान्य परंतु प्रभावशाली उपाय:-
1.मोरपंख को अपने शयनकक्ष व कार्यालय मे रखे हो सके तो पर्स मे रखे

2.सुर्य ग्रहण ,चन्द्र ग्रहण ,अमावस्या अथवा नागपंचमी के दिन एक तांबे का बडा सर्प सुबह सुर्योदय से पहले शिवलिगं पर गुप्त रूप् से चढाए उसके पश्चात चांदी का रेगता हुआ सर्प बनाकर उसके मुख पर गोमेद व पुछ पर लहसुनिया जडवाकर रि पर से सात बार उतारकर बहते पवित्र ज लमे प्रवाहीत करे

3.तांबे के कलश मे काले तिल व सर्प सर्पीणी का जोडा रखकर कुछ जल भरकर अमावस्याा के दिन शिवलिग पर अर्पित करे

4.वर्ष मे एक बार बुधवारी अमावस्या या नागपंचमी के दिन व्रत रखकर राहु के मंत्रो का चतुर्गुणित जाप कराकर दशांश हवन करे

5.चतुर्गुणित जप करने मे असमर्थ हो तो दस माला राहु के मंत्रो का जाप कर 108 बार आहुति देवे इसके लिये दुर्वा को घी मे डुबोकर काले तिल व कपुर के साथ अर्पित करे

6. नवनाग स्त्रोत व सर्प सुक्त का प्रतिदिन चंदन कि अगतबत्ती जलाकर नौ बार पाठ करे
                       नवनाग स्त्रोत
अनंतं वासुकि शेषे पदमनाभे च कंबलम ।
शंखपाल धार्तराष्टंªª तंक्षक कालियं तथा ।ं।
एतानि नव नामानि नागानाम् च महात्मनाम ।
सायं काले पठेत्रित्यं प्रात: काले विशेषत:।।
तस्मै विषभय नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत ।




सर्प सुक्त 
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पाः शेषनाग पुरोगमाः।
नमोस्तुतेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पाः वासुकि प्रमुखादयाः ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
कद्रवेचाश्च ये सर्पा मातृभक्ति परायण ।
 नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पाः तक्षका प्रमुखादयाः ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
सत्यलोकेषु ये सर्पाः ककोटक प्रमुखादयाः ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा साकेत वासिताः ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
सर्वग्रोमेषु ये सर्पा वसंतिषु सच्छिता ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
ग्रामे वा यदी वारण्ये ये सर्पापुचरन्ति च ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
समुद्रतीरे यो सर्पाये सर्पाजल वासिनः ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।
रसातलेषु ये सर्पाः अनन्तादि महाबला ।
नमोस्तुतंभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ।।


7.गोमुत्र से दातँ साफ रखने एवं ताजा मुली का दान करने से भी शाति मिलती है

8.पाच सुखे जटा वाले नारियल सिर पर से सत बार उतारकर जल प्रवाह करने से राहत मिलती है

9.नागपेचमी के दिन वत रखकर उसी दिन नाग प्रतीमा की अगठी पुजा कर धारण करे

10. वर्ष मे एक बार रूद्राभिषेक करने से राहत प्रप्त होती है

11.घर के दरवाजे पर स्वास्तिक लगाए

12.शिव चरणामृत का पान सोमवार को करने से राहत मिलती है

13. प्रतिदिन स्नान के उपरान्त धुप दिप जलाकर नवनाग गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने से भी राहत प्राप्त हो ती है ।
मंत्र:-नवकुल नागाय विùहे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात ।

14. यदि स्वप्र मे साप दिखाई देता हो एवं उससे भय बना रहता हो तो निम्र मंत्र का संध्याकाल मे 21 या 108 बार जाप दीप जलाकर करे ।
म्ंात्र:-नर्मदाये नमः प्रातर्नदाये नमो निशि ।
नमोस्तु नर्मदे तुभ्यं ़त्राहि मा विष सर्पतः ।।

15.भवन के मुख्यद्वार के नीचे चादी का पत्र दबने पर राहत मिलती है ।

16. चादी की दो कटोरी लेकर उसमे गंगाजल भरकर एक कटोरी को किसी शिव मंदिर या नाग देवता के मंदिर मे चढाए एवं दुसरी कटोरी अपने पुजा स्थल पर रखे इसमेज ल को सुखने नही दे ऐसा करने पर भी राहत मिलती है

17.पेतिदिन स्नान करने के उपरान्त भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिव चालिसा का पाठ करे तो कालसर्प दोष से राहत प्राप्त होती है ।

18. कालसर्प दोष होने पर जातक को किसी शुभ दिवस से प्रारंभ कर प्रतिदिन नहा धोकर पवित्र होकर दुध मिश्रित जल शिवलिंग पर चढाते हुए निम्र का इक्कीस बार जाप करना चाहिए ।
मंत्र:- नागेंद्रहराय त्रिलोचनाय भस्मांगराय महेश्वराय ।
 नित्याय शुद्वाय दिगंबराय तस्मै व काराय नमः शिवाय ।।
इसके प्रभाव मे कालसर्प दोष का अशुभ प्रभाव कम होने लगता है ।
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