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गुरुवार, 16 अगस्त 2012

आप भी बन सकते हैं प्रशासनिक अधिकारी


प्रतिस्पर्धा के इस युग में राजकीय सेवा प्राप्त करना कठिन होता जा रहा है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी बनना किसी भाग्यशाली का ही लक्षण है। युवाओें में प्रशासनिक अधिकारी बनने को लेकर इतना क्रेज बढ रहा है कि डाॅक्टर, इन्जीयनियर जैसी अच्छी सर्विस वाले भी इसके प्रति अति उत्साहित नजर आ रहे है।लेकिन कहते है कि समय से पहले भाग्य से अधिक किसी को प्राप्त नही होता। फिर भी यदि ज्योतिष का सहारा लेकर कुछ उपाय जाए तो मार्ग आने वाली बाधाएं दुर होकर सेवा के योग अवश्य बनने लगते हैं मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती। लेकिन मानव मेहनत करते-करते थक जाता है तो उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। आत्मविश्वास आपको सफलता का मार्ग अवश्य दिखाता है। विधारण्यक मुनि ने गायत्री के 23 पुरश्ररण किए लेकिन फिर भी गायत्री माता के दर्शन नहीं हुए तो उनका आत्मविश्वास भी डगमगा गया। फलतः सन्यास ले लिया। संन्यास लेते ही गायत्री माता के दर्शन हुए जब ऐसे ऋषियो का आत्मविश्वास डगमगा सकता है। तो सामान्य मानव की तो बात ही क्या। मैंने ऐसी कई कुण्डलियो का अध्ययन किया है। जिनमें प्रबल राजयोग होने के कारण प्रथम प्रयास मे ही प्रशासनिक अधिकारी बनने का मौका प्राप्त हुआ। तो कुछ ऐसे प्रतिभागियो की कुण्डलियो का विश्लेषण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिन्हे कमजोर राजयोग के कारण अन्तिम समय मे निराशा ही हाथ लगी। वो भी एक बार नहीं तीन-तीन बार। तो इस प्रकार की स्थिति को भाग्य का खेल ही कहा जाता हंै। 
प्रशासनिक सेवाओ भाग्य आजमाने वालो हेतु जातक यदि कुण्डली का विश्लेषण करे तो स्पष्ट हो जाता है कि उनके योग राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय स्तरीय प्रशासनिक सेवाओ हेतु क्या बन रहा हैं। यदि इस प्रकार के योग प्रबल होकर उपस्थित है तो राष्ट्र स्तरीय एव ंअपेक्षाकृत कुछ योग कमजोर है तो राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवाओ मे मौका पा रहे सकते है। योग कारक के ग्रहो के आधार  पर प्रशासनिक सेवा का वर्गीकरण यथा पुलिस, राजस्व वित्त एवं अन्य प्रकार की सेवा के योग हो सकते हैं। सामान्य तौर पर जो योग इन पर सेवाओ हेतु प्रभावी पाए गए हैं वे निम्न 
1   यदि कारकांश कुण्डली में सूर्य लग्न में मेष राशि का होकर स्थित हो एवं अन्य ग्रहों में से अधिकांश शुभ स्थित मे हो तो जातक राष्ट्रीय स्तर का अर्थात आइ.ए.एस. बन सकता है।
2   यदि दशम स्थान का स्वामी शुभ ग्रह होकर अपने उच्च नवांश में या उच्च राशि में स्थित हो, दशमेश व दशम भाव पर कई शुभ ग्रहों की दृष्टि भी हो तो जातक आइ.ए.एस. बन सकता है। अपेक्षा कृत कुछ कमजोर ग्रहों की युति-दृष्टि या एक-दो पापग्रहों का सामान्य प्रभाव हो तो राज्य स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
3   यदि दशमेश मृदृ षष्टयंश हो, शुभ ग्रह के नवांश में हो एवं केन्द्र स्थान बली होकर दशम में उच्चस्थ शुभ ग्रह हो तो जातक प्रशाासनिक अधिकारी बनता है। 
4   यदि दशम भाव पर दशमेश की दृष्टि हो, जन्मांक चक्र में परस्पर दो या तीन व्यत्यय योग भी बन रहे हो, लग्नेश बलवान हो तो जातक को प्रशासनिक सेवा का योग बनता है। 
5   सुर्य केन्द्र स्थान में उच्च राशि या उच्च नवांश मंे हो, दशमेश लाभ भाव में लग्नेश व भाग्येश अपने घर में या परस्पर परिवर्तन योग कर स्थित हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बन सकता है।
6   द्वितीययेश केन्द्र स्थानों में अपनी उच्च राशि में हो और उसे शुभ ग्रह देखते हो शुभ ग्रह केन्द्र स्थानों में पापग्रह तृतीय, षष्ट व एकादश भाव में स्थित हो तो जातक उच्च पदासीन होता है।
7   पंचमेश उच्च राशि या उच्च नवांश में पंचम स्थान में स्थित हो एवं बलवान दशमेश व नवमेश की युति लग्न, सप्तम या दशम भाव में बन रही हो तो जातक आई. ए. एस. बन सकता है। इनमें मंगल का प्रभाव हो तो जातक आई. पी. एस. अधिकारी बनता है।
8   शनि नवम स्थान में हो व दशम में मकर राशि या नवांश में मंगल स्थित हो बुध, बृह. व शुक्र पंचम भाव में स्थित हो एवं पंचम भाव में कोई एक अपने उच्च नवांश में हो तो जातक आई.पी.एस. की सेवा में जा सकता है।
9   बृह. लग्न में, सूर्य सप्तम या चतुर्थ भाव में हो व पंचम में वक्री हो कर शुक्र स्थित हो तों जातक राष्ट्रीय स्तर का प्रशासनिक अधिकारी होता है।
10  चन्द्र कुण्डली में तृृतीय स्थान में सूर्य व शनि हो, चतुर्थ स्थान में बुध व शुक्र हो , एकादश स्थान में बृह. हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनता है। इस योग में मंगल द्वितीय या द्वादश भाव में स्थित हो तो योग प्रबल रहेगा।
प्रशासनिक सेवा उच्च राजकीय सेवा हैं अतः इस हेतु कुण्डली मं तीन या तीन से अधिक ग्रह उच्च राशि या उच्च नवांश मं स्थित होने पर सेवा योग प्रबल बनता है बली ग्रह कम हो लेकिन अपने भाव मं एवं व्यत्यय योग भी बन रहे हो तो सेवा के योग अवश्व बनते है। प्रशासनिक अधिकारी बनते हेतु दशमस्थ, लग्नस्थ या दशमेश-लग्नेश की दशा अन्तर्दशा को होना बहुत महत्वपुर्ण हो। इनमें से बलवान ग्रह की दशा मं जातक को राजसेवा मिलती है। कई बार प्रमियोगी प्रारंभिक परीक्षा में तो सफल हो जाते है। लेकिन साक्षात्कार में जाते ही असफल हो जाते है। इसका कारण साक्षात्कार के समय कमजोर ग्रह की अन्तर्दशा का होना मुख्य है। कुछ जातक लग्नेश की कमजोरी के कारण भी साक्षात्कार में सफल नहीं हो पाते। साक्षात्कार सम्पूर्ण व्यक्तित्व के बारे मंे तथ्य जुटाने का जरिया है। कहा भी है- छिद्रं छिद्रग्रहारिभिः शत्रुभिः अन्विठयमाण अनर्थमुलं वस्तु वा रहस्यभूतं किमपि अवस्थान्तरम अर्थात शत्रु नीचगत, छिद्रग्रह की दशा में राज्य का नाश होता है। यदि साक्षात्कार के समय अत्यन्त निर्बल हो तो किसी भी प्रकार से सेवा का योग नहीं बन पाता। लेकिन साधारण बली होने पर दूसरो की सहायता द्वारा सेवा प्राप्ति बन सकती है । आइये उदाहरण कुण्डलियों द्वारा समझने का प्रयास करें।
     
                                                                  परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
                                                                 मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
                                                           जिला- सिरोही (राज.) 307512 मो.9001742766

1 टिप्पणी:

  1. वागाराम जी क्या यह जातक प्रशासनिक अधिकारी बन सकता है ? १५-८-२००७ , २:३० पी एम , भरतपुर राजस्थान

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