जीवन मे 1 बार स्वर्णिम काल जरुर आता है। इनका यदि समय रहते पता चल जाये तो उनका जीवन सुखमय बन सकता है। लेकिन आज प्रंत्येक व्यक्ति शीघ्र सफलता के लालच मे आकर जोखिमपूर्ण निर्णय ले लेता है। जिसमे उसका विकास स्तर गडबडा जाता है। कुछ भाग्यशाली ही ऐसे होते है। जिन्हे पत्येक कार्य मे सफलता होती रहती है। कुछ जातक नौकरी करके ही अपने स्तर को सुधार सकते है तो कुछ हेतु व्यवसाय लाभप्रद रहता है। आपके जन्मांग मे स्थित ग्रह स्थितियो से निर्धारण किया जा सकता है कि आपके लिए नौकरी लाभदायक रहेगी व्यावसाय।
जन्मांग चक्र मे लग्न सम्पूर्ण व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है तो द्वितीय भाव धन का पंचम भाव
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे एक आक्स्मिक लाभ का चतुर्थ भाव जनता का दशम भाव कर्म का तो एकादश भाव सर्वाधिक लाभ का जन्मांग चक्र में इन भावों में शुभ ग्रहों का स्थित होना एवं इन भावेशों का बलवान होना जातक के चारों तरफ के श्वर्णिम अवसर पैदा करता है इस श्थिति में जातक को व्यवसाय का चयन करना लाभकारी है इसके विपरित ग्रह श्थिति हो तो जातक को नौकरी ज्यादा फायदेमंद है यदि जन्मांग में चन्द्र निर्बल होकर स्थिति हो एवं चन्द्र के द्वादश भाव व द्वितीय भाव में कोई ग्रह स्थिति नहीं हो तो केमुद्रूम नामक दरिद्र योग बनता है जातक की इस स्थिति में आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती चन्द्र से छठे या आठवें भाव में बृहश्पति स्थित हो तो संकट योग बनता है जो धन की कमी दर्शाता है इस स्थिति में भी नौकरी उपयुक्त रहती है इसके अतिरिक्त धनेश लाभेश या पंचमेश की नीच श्थिति इसका पापग्रहों के प्रभाव में होना त्रिक भावों में त्रिकेश के साथ होना इसका बाल्यावस्था या मृतावस्था में होना सुर्य के साथ होकर अस्त होना षडवर्गहीन होना इन भावों में किसी नीच ग्रह की स्थिति लग्न से अष्टम में क्षीण चंन्द्र सूर्य के साथ स्थित चन्द्र पापग्रह के नवांश में हो लग्न या चन्द्र से चारों केंन्द्रो में पापग्रह स्थित हो चन्द्र पर राहु केतु का प्रभाव हो चर राशि-नवांश में स्थित होकर चन्द्र राश्मिहीन हो,भाग्येश की अपेशा अष्टमेश बलवान हो तो जातक को नौकरी करना लाभदायक है ! यदि इस प्रकार स्थिति जंन्माग में मौजूद हों एंव जातक व्यापार व्यवसाय शुरु कर लेता है तो निश्चित रुप से हानि उठानी पडेगी । यदि हानि नहीं हों तो लाभ की स्थिति भी बन पायेगी । इसके विपरित चंन्द्र से व लग्न से केन्द्र में शुभ ग्रह हो चन्द्र उच्च राशि या नवांश का होकर सूर्य से पांच छः भाव आगे स्थित हो चन्द्र के दोनो ओर शुभ ग्रह स्थित होना जातक की आर्थिक स्थिति में तीव्रमय सुधार करने की अपेक्षा रखते है। अतः ऐसे जातक को नौकरी की जगह व्यवसाय करना अधिक फायदेमंद रहता हैं। यदि जन्मांग में मिश्रित योग स्थित हो तो नौकरी के साथ-साथ र्पाट-टाईम बिजनेस भी किया जा सकता है इन सबका विचार करने के लिये दशा एंव गोचर का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिये। यदि जन्मांग में व्यवसाय हेतु उतम योग स्थित है लेकिन गोचर एंव दशा प्रतिकूल है तो अनुकुल दशा आने तक नौकरी करना समझदारी है।
परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
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