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मंगलवार, 14 अगस्त 2012

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं...

 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं...

आपकी खिदमत  में प्रस्तुत एक नयी कविता----

धरती चोरां री------=========

धरती चोरां री !
ओ ओ धरती चोरां री !
ईं पर भूत रमण नै आवै
देवता देख परा डर जावै
नेता माल मोकळा खावै
बेचता देस नीं सरमावै !
धरती जब्बर जोरां री
धरती चोरां री !

चंदो धाप-धाप बपरावै
मिल बांट पर सब खावै
पोता बेटा चुनाव लड़ावै
बै कुरसी जा चिप जावै
तरी नेताजी रै छोरां री
धरती चोरां री

टेंडर नोट घणां बरसावै
नेता भर भर झोळा ल्यावै
ओडर भाई-भतीजा पावै
पईसा बैंक विदेसां जावै
धरती नुगरै जोरां री
धरती चोरां री !

जनता घाल बोट भूल जावै
पछै नेता देस पड़्या गुड़कावै
घोटाला बै घोट घोट घुंकावै
जनता पांच साल पड़ी सुसतावै
धरती भ्रष्ट घनघोरां री
धरती चोरां री !

जनता मधरी मधरी फरमावै
नेता काढ परा आंख डरावै
छाती ठोक लोकराज बतावै
नोकर जस सरकारी गावै
धरती डोफा ढोरां री
धरती चोरां री !

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