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शनिवार, 24 अगस्त 2013

नवग्रह स्तोत्रम

          ज्योतिषाचार्य वागा राम परिहार
09001742766
जब किसी जातक को एक से अधिक ग्रहो के प्रकोप के कारण कोई रोग पीडा दे रहा हो तो ऐसे जातक को धुप दीप जलाकर निम्न स्तोत्र का पाठ करना रोग शांति मे सहायक होता है।इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान हेतु इस स्तोत्र का पाठ लाभदायक होता है। महर्षि व्यास द्वारा रचित नवग्रह स्तोत्रम
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम्।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्।।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम्।।
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणांप्रतिमं बुधं।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।।
देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।
हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड सम्भूत तं नमामि शनैश्चरम्।।
अर्धकायं महावीर्यम् चन्द्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भ सम्भूतं तं राहूं प्रणमाम्यहम्।।
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रत्मकंघोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।
इति व्यासमुखोद्रीतं यः पठेत सुसमाहितः।
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशान्तिर्भविष्यति।।
नरनारीनृपाणां च भवेद्दुःस्वपननाशनम।
ऐश्वर्यंतुलमं तेषामारोग्यं पुष्टिवर्धनम्।।

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