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शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

कैसा रहेगा आपके लिए सितम्बर महिना


कैसा रहेगा आपके लिए  सितम्बर  महिना                                                                                                                                                  मेष  राशि 
यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा तो आपकी राशि  मेष है-नामक्षर: चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ
शुभ अंक-,1,2,3,9
शुभ वार-रविवार,सोमवार,मंगलवार ,गुरूवार।
अनुकूल देवता-हनुमानजी।

 इस माह आपके खर्च में अधिकता रहने का योग बन रहा है, जिसके कारण आपकी आर्थिक स्थिति में समस्या रहेगी। आपको मित्रों एवं अनुजों का सहयोग कम रहने की संभावना बन रही है। स्वास्थ्य में परेशानी के कारण आपका खर्च भार इस माह बढ सकता है इनके बावजूद भी आकस्मिक धन लाभ एवं कार्य व्ययसाय में प्रगति के कारण आप प्रसन्नचित्त रहेंगे । कार्य व्यवसाय मं बढोतरी भी करेंगें। इस समय नया कार्य व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते हैं। जीवनसाथी से तनाव के पश्चात् भी आपको अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा। विद्याथियों के लिए यह माह मिश्रित फलदायक रहने की संभावना है। संतान पक्ष की तरफ से आपको अपेक्षित सहयोग प्रप्त होगा इससे आपका मन प्रसन्न रहेगा। धार्मिक कार्यो में आपकी रूचि बढेगी। इस समय राज्य एवं राजनीति, दोनों तरफ से लाभ की संभावना बन रहीं है। 

उपाय: इस माह आपको ॐ   गणपतये नमः का जाप करना लाभदायक रहेगा। अपनी सामथ्र्य अनुसार सौन्दर्य प्रसाधन वस्तुओं का दान करें। दस महाविद्या यंत्र की पूजा अर्चना श्रेष्ठ रहेगी।

वृषभ राशि 
आपकी राशि  वृषभ है, यदि आपके नाम का प्रथम अक्षर निम्न में से कोई है- इ,उ,ए,ओ,वा,वि,वु,वे,वो,
शुभ अंक: 4,5,6,8,
शुभ वार: बुधवार,शुक्रवार ,शनिवार 
अनुकूल देवी: माता लक्ष्मी।

 इस माह वृषभ  राशि वालों को अपने परिवारजनों के विरोध का सामना करना पड सकता है। परिवारजनों के विरोध के कारण आप मानसिक रूप से परेशान रहेंगे। माह समय आकस्मिक खर्च के कारण परेशानी रहेगी। माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। इस समय वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। यदि आप ट्रांसपोर्ट के कार्य व्यवसाय से जुडे हुए हैं तो आपको विषेष सावधानी बरतनी होगी। शेयर बाजार में इस माह निवेष नहीं करें। इस माह शेयर बाजार से नुकसान हो सकता है। विद्यार्थियों को इस माह षिक्ष ामंे अरूची रहेगी। कार्य व्यवसाय में वृद्वि की संभावना बन रही है। यदि आप साझेदारी में कार्य व्यवसाय कर रहे है तो आपको कुछ निराषा हो सकती है। आपके शत्रुओं का शमन होगा। राज्य की तरफ से भी आपको कुछ परेषानी रहेगी। इस माह आपको अपने उच्चधिकारियों से मधुर संबंध बनाने की कोषिष करनी चाहिए। यदि आप कोई यात्रा करना चाहते है। तो इस माह यात्रा से लाभ नहीं होगा।

उपाय: सूर्य भगवान को प्रतिदिन जल चढाकर आदित्य ह्नदय स्तोत का पाठ करें। इस माह आपको माता गायत्री की पूजा अर्चना करनी विषेष लाभदायक बन रही है। ओपल धारण करना शुभफलदायक रहेगा।


मिथुन राशि  
नामाक्षर: आपकी  राशि मिथुन है, यदि आपका नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ होता है- क,कि,कु,घ,ड,छ,के,को,ह
शुभ अंक: 1,5,6,8
शुभ दिन: रविवार,बुधवार,शुक्रवार ,शनिवार 
अनुकूल देवता: गणपति।

: मिथुन राशि  वालों के लिए यह माह अपने पराक्रम व परिश्रम के बल पर मान सम्मान एवं धन की प्राप्ति करने के लिये उचित रहेगा। इस माह लोगों एवं मित्रों के अपेक्षित सहयोग के कारण आपके भाग्य में वृद्वि होगी। पिता की तरफ से भी आपको अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा। धर्म-कर्म एवं दान-पुण्य के प्रति आपकी रूचि बढेगी। राज्य पक्ष की तरफ से धन एवं मान सम्मान की प्राप्ति होगी। संतान पक्ष की तरफ से आकस्मिक परेषानी बनती है। इस माह अनुसंधान के कार्यो में लाभ की प्राप्ति होगी। शेयर बाजार में उतार-चढाव के कारण कुछ परेषानी अनुभव होगी। कार्य व्यवसाय मंे संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी। इस समय साझेदार से मनमुटाव अथवा उससे साझेदारी तोडने की इच्छा भी बनेगी। इस समय आप अपने मकान में साज-सज्जा करके भी समस्य में रह सकते हैं। आपके लिए अभी संघर्ष का समय बना रहेगा। अपने अधिकारियों से मधुर संबंध बनाने की कोषिष करें। लक्ष्य से कम सफलता के कारण आप मानसिक तनाव में रहेगें।
उपाय: प्रतिदिन कुत्ते को तंदूर की मीठी रोटी बनाकर उस पर सरसों का तेल लगाकर खिलायंे। दस महाविद्या यंत्र की पूजा-अर्चना करें। गुरूवार के दिन गाय को गुड व चने की दाल खिलायें।

कर्क  राशि 

नामाक्षर: आपकी राशि  कर्क है, यदि आपका नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- ही,हू,हे,डा,डी,डू,डे,डो
शुभ अंक: 1,2,3,9
शुभ दिन: रविवार,सोमवार,मंगलवार,गुरूवार।
अनुकूल देवता: भगवान षिव।

 कर्क राशि  वालोंा को इस माह भी कार्य व्यवसाय में परेशानी का सामना करना पडेगा। कार्य स्थल पर परेषानियां उठानी पड सकती हैं। कार्य इस समय आपको पूर्ण ईमानदारी एवं मेल-मिलाप के द्वारा समय गुजरने का इंतजार करना चाहिए अन्यथा बडा नुकसान उठाना पड सकता है। जीवनसाथी से वाद-विवाद नहीं कर प्रेममय संबंध बनाने की कोषिष करनी चाहिए। संतान के कमजोर स्वास्थ्य को लेकर परेशानी रहेगी। इस समय आपको शेयर बाजार में निवेष नहीं करना चाहिए। यदि आप निवेष करना चाह रहे है तो पूर्णतया सोच समझकर निर्णय लें। इस माह आपको मित्र वर्ग की तरफ से भी परेशानी रहेगी, किन्तु पैतृक कार्यो से लाभ की प्राप्ति रहेगी। राज्य की तरफ से भी आपको मान सम्मान एवं धन की प्राप्ति होगी। आपके स्वयं के खर्च में कमी रहेगी। इस माह अनिद्रा के कारण भी आप परेशान रहेंगे।

उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें पंचधातु में गोमेद जडवाकर धारण करें। गरीब व अनाथ लोगों को खाद्य सामग्री दें। सोते समय अपने सिरहाने जल से भरा लोटा रखेां। सुबह उठकर जल कीकर अथवा पीपल वृक्ष को चढा दें।

सिंह  राशि 
नामाक्षर: आपकी राशि  सिंह है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा हो- मा,मी,मू,मे,मो,टा,टी,टू,टे
अनुकूल अंक: 1,2,3,9
अनुकूल दिवस: रविवार,सोमवार,मंगलवार,गुरूवार।
अनुकूल देवता: सूर्य भगवान।

: सिंह राशि  वालों को इस माह कार्य व्यवसाय में परेशानी  रहेगी एवं इस कारण तनाव बना रहेगा। इष्ट मित्रों के असयोगात्मक व्यवहार के कारण भी परेशानीबनती बनती है। कार्य व्यवसाय के कारण दूरस्थ प्रदेष की यात्रा का योग बन रहा है। साझेदारी में किए गए कार्य से आपको लाभ की प्राप्ति होगी। साझेदारी द्वारा धोखे की संभावना बन रही है। कार्य व्यवसाय की प्रगति का पूर्ण ध्यान रखें। इस समय आपके आत्मविष्वास में वृद्वि होगी। अपने कार्य से लाभ मिलेगा। इस माह राज्य की तरफ से भी आपको मान-सम्मान एवं लाभ की प्राप्ति सम्भव है किन्तु माह के उत्तराद्र्व में लाभ में कमी रहेगी। इस समय आपको वाहन के कारण कष्ट हो सकता है। मित्रों में परस्पर विरोध के कारण भी आपको परेषानी परेशानीहोगी। अनिद्रा की षिकायत बनी रहेगी। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन में मन नहीं रहेगा। अपने अध्ययन के प्रति  परेशानीबनती है। उदर विकार के कारण समस्या बनती है। मनोरंजन व विलासिता पर इस माह खर्च पहले की अपेक्षा अधिक रहेगा। प्रेम प्रसंग मे आपको निराषा मिलेगी। लोगों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पायेगा।
उपाय: शुक्रवार के दिन चीटियों को बूरा डालें। व्यापार वुद्वि यंत्र की स्थापना करें। बुधवार के दिन 250 ग्राम मूंग अपने सिर पर सात बार उसारकार पक्षियों को खिलायें। मित्रों से मधुर संबंध बनायें।

कन्या राशि : आपकी जन्म राशि  कन्या है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- टो,प,पी,पू,ष,ठ,पे,पो
अनुकूल अंक: 5,6,8
अनुकूल: दिवस: बुधवार,शुक्रवार ,शनिवार 
अनुकूल: देवता: गणश जी।

: कन्या राशि  वालों को इस माह अपने स्वास्थ्य पर विश ष ध्यान देना होगा। इस माह किसी आकस्मिक पारिवारिक समस्या के कारण आप परेशान  रह सकते है। इस समय आपके खर्च में अधिकता रहेगी। आपके कार्य व्यवसाय में संघर्ष बना रहेगा। आपकी आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। परन्तु आकस्मिक व्यय के कारण तनाव में रह सकते है। संतान पक्ष की ओर आपको ध्यान देना चाहिये। षेयर बाजार में निवेष करें तो इस माह सावधानी बरतें। शत्रु पक्ष की तरफ से आपके परिवारजनों को परेशानी रहेगी। इस समय आप किसी नये कार्य को करना चाहें तो कुछ समय के लिए स्थगित रखें। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन में मन नहीं लगेगा। मित्र वर्ग के असयोगात्मक व्यवहार के कारण आपको समस्याओं का सामना करना पडेगा। इस समय राज्य की तरफ से भी आपको असुविधा रहेगी। मानसिक तनाव के कारण आप उचित निर्णय नही ले पायेगें। प्रेम प्रसंग के कारण परिवार के विरोध का सामना करना पड सकता है। इस माह आपको अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। किसी से व्यर्थ वाद-विवाद नहीं करें।

उपाय: बुधवार के दिन 250 ग्राम मूंग अपने सिर पर से सात उसारकर पक्षियों को खिलायें। बजरंग बाण का पाठ करें। नाभि व ललाट पर केसर का तिलक लगायें।

तुला  राशि 
नामाक्षर: आपकी  राशि तुला है, यदि आपका जन्म निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- र,री,रू,रो,ता,ती,तू,ते
अनुकूल  अंक: 5,6,8
अनुकूल दिवस: बुधवार,शुक्रवार ,शनिवार 
अनुकूल देवता: लक्ष्मी।

 तुला राशि  वालों के लिये यह माह मिश्रित फलदायक रहेगा। इस समय आपके कार्य व्यवसाय में शुभ फलों की प्राप्ति होगी। उत्तराद्र्व की अपेक्षा आपके लिए पूर्वार्ध   शुभ फलदायक बन रहा है। इस समय आपको कार्य व्यवसाय में संघर्ष के उपरांत शुभ फल अवष्य मिलता है। इस समय आपको अनिद्रा के कारण परेषानपरेशानी होना पड सकता है। अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें। इस माह पूर्वार्ध   में आप आवेष में आकर गलत निर्णय नहीं लें। अपने साझेदार से भी वाद-विवाद के उपरांत शुभ फलों की प्राप्ति होगी। जमीन जायदाद में विवाद के कारण कुछ परेषानी रहेगी। भवन में साज-सज्जा को लेकर कुछ खर्च कर सकते हैं। इस माह संतान पक्ष के कमजोर स्वास्थ्य को लेकर कुछ परेषानी रहेगी परन्तु उत्तराद्र्व में खुषखबरी भी प्राप्त होगी। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन में मन नहीं लगेगा। इस समय एक्राग होकर अध्ययन करें ताकि आने वाले समय में परीक्षा परिणाम बेहतर मिल सकें। शेयर बाजार में निवेष करना लाभदायक बन रहा हैं। प्रेम प्रसंग को लेकर आप पर घात की संभावना बन रही है। इष्ट मित्रों का अपक्षित सहयोग नहीं मिल पायेगा, जिसके कारण आप परेषान रहेंगे। शत्रु पक्ष का शमन करने में आप समर्थ रहेंगे।

उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें। सूर्य भगवान को अध्र्य देवें एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। इस समय राहु यंत्र धारण करना लाभदायक रहेगा।

 वृश्चिक  राशि 
नामाक्षर: आपकी राशि  वृश्चिक  है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- तो,न,नी,नू,ने,नो,या,यी,यू
अनुकूल अंक: 1,2,3,9
अनुकूल: दिवस: रविवार,सोमवार,मंगलवार,गुरूवार।
अनुकूल देवता: हनुमान जी।

: वृश्चिक   राशि  वालों सितम्बर का माह स्वास्थ्य की दृष्टि से  परेशान करने वाला बन रहा हैं। इस समय आपको किडनी संबंधित विकार के कारण परेशानी  उठानी पड सकती है। आपको यात्रा करते समय एवं वाहन चलाते समय विषेष सावधानी करनी चाहिये अन्यथा दुर्घटना का सामना करना पड सकता है। इस समय पूर्वार्ध  में कार्य-व्यवसाय अच्छा रहेगा एवं लाभ की प्राप्ति भी होगी। माह के उत्तराद्र्व में कार्य-व्यवसाय से लाभ प्राप्ति में उतार-चढाव बना रहेगा। साझेदारी में किये गये कार्यो से आपको लाभ की प्राप्ति होगी। इस माह शेयर बाजार में निवेष करना लाभदायक रहेगा। प्रेम-प्रसंगोंा के कारण बदनामी का सामना करना पड सकता है। विद्यार्थियों के इस माह विद्याध्ययन मंे रूची रहेगी। इस समय कार्य-व्ययसाय के कारण यात्रा का योग बन रहा है जिससे सामान्य लाभ प्राप्त होगा। संगीत एवं नृत्य के क्षेत्र में काम करने वालों को आवष्यक लाभ की प्राप्त होगी। परिवार में किसी सदस्य को लेकर विवाद बन सकता है। इस समय आपको मानसिक तनाव की स्थिमि बन रही है।

उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ 

धनु राशि 
नमाक्षर: आपकी राशि  धनु है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- ये,यो,भ,भी,भू,धा,फा,ढा,भे
अनुकूल  अंक: 1,2,3,9
अनुकूल दिवस: रविवार,सोमवार,मंगलवार,गुरूवार
अनुकूल देवता: विष्णु भगवान।

 धनु राशि वालों को इस माह के पूर्वार्ध   में अपेक्षित सफलता प्राप्त होगी। इस समय आपके भाग्योदय मं वृद्वि होगी। राज्य की तरफ से भी आपको धन एवं मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। इस माह आपको इष्ट मित्रों एवं परिवाजनों का अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा। संतान पक्ष की तरफ से भी शुभ फलों की प्राप्ति होगी। शेयर बाजार से आपको लाभ की प्राप्ति होगी।आत्मविष्वास में वृद्वि होगी। शत्रु पक्ष के कारण आपको कुछ परेषानी हो सकती है। इससे लाभ प्राप्ति में कमी रहेगी। माह के उत्तराद्र्व में कार्य व्यवसाय में संघर्षो का सामना करना पडेगा। इस माह भी स्वास्थ्य में कुछ परेषानी रहेगी। यकृत विकार के कारण परेषान होना पड सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। साझेदारी में लाभ की प्राप्ति होगी। विद्यार्थियों का मन इस माह विद्याध्ययन में लगेगा। इस समय आपको प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त हो सकती है। नृत्य एवं संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वालों को अपेक्षित परिणाम की प्राप्ति होगी। जमीन जायदाद से भी लाभ प्राप्ति की संभावना बन रही है। इस माह आपको कुछ संघर्ष के पश्चात अपेक्षित सफलता मिलेगी परन्तु अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

उपाय: केसर का तिलक लगायें। गणपति अथर्वषीर्ष का पाठ करें। राहु मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं सः राहवे नमः का जाप करें।

मकर राशि 
आपकी राशि  मकर है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- भो,ज,जी,खि,खू,खे,खो,ग,गि
अनुकूल अंक: 5,6,8
अनुकूल दिवस:बुधवारशुक्रवार ,शनिवार 
अनुकूल: देवता: हनुमानजी।

 आपके लिये यह माह मिश्रित फलदायक बन रहा है। इस माह आपके कार्य व्यवसाय में कुछ संघर्ष के पश्चात सफलता मिलेगी। इस माह आपको साझेदार से लाभ प्राप्ति की संभावना बन रही है। आपको अपने कार्य का पूरा ध्यान देना चाहिये ताकि अधिकाधिक लाभ की प्राप्ति हो सके। इस माह आप भाग्योदय एवं कार्य क्षेत्र में वृद्वि के लिए कर्ज ले सकते है। संतान पक्ष की तरफ से खुषखबरी प्राप्त हो सकती है। शेयर बाजार में निवेष करना आपके लिये लाभदायक बन रहा है। प्रेम प्रसंग का लेकर भी आप उत्साहित रहेंगे। इस माह रूठने-मनाने का सिलसिला बना रहेगा। राज्य पक्ष की तरफ से कुछ परेषानी परेशानीहो सकती है। इस समय आपको पूर्ण ईमानदार रहना चाहिये अन्यथा रिष्वत के कारण निलंबन का सामना करना पड सकता है। शत्रु पक्ष का शमन होगा। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन के प्रति सजग रहना चाहिये। माता-पिता के कमजोर स्वास्थ्य केा लेकर परेशानी रहेगी। इस माह भवन साज-सज्जा भी आप करवा सकते है। इष्ट मित्रों एवं परिवार का अपेक्षित सहयोग बनेगा। नृत्य, संगीत के क्षेत्र में आपको इस माह लाभ प्राप्ति की संभावना बन रहीं है।

उपाय: सूय भगवान को अध्र्य देवें एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। कुत्ते को तंदूर की मीठी रोटी खिलायें। फिरोजा धारण करें।


 कुंभ  राशि 
नामाक्षर: आपकी राशि  कुभ है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- गू,गे,गो,सा,सी,सू,से,सो,द
अनुकूल अंक: 5,6,8
अनुकूल दिवस: बुधवार,शुक्रवार ,शनिवार 
अनुकूल देवता: हनुमानजी।

: कुंभ राशि  वालों के लिए यह माह मिश्रित फलदायक बन रहा है। इस माह का पूर्वार्ध   आपके लिये शुभ फलदायक रहेगा परन्तु उत्तराद्र्व में परेशानी यों रहेंगी।  इस माह आपको साझेदारी के कार्यो से अपेक्षित लाभ की प्राप्ति होगी। आपके कार्य व्यवसाय में सुधार की संभावना है। इस समय आप कार्य का विस्तार भी कर सकतें है। माह के उत्तरार्द्ध साझेदार की तरफ से परेशानी होगी। राज्य की तरफ से भी नुकसान उठाना पड सकता है। यदि आप राजकीय सेवा में है तो चार्जषीट अथवा स्थानांतरण का सामना करना पड सकता है। वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी चाहियें। शेयर बाजार से आपको पूर्वाद्र्व में लाभ मिल सकता है, परन्तु उत्तराद्र्व में आकस्मिक नुकसान उठाना पड सकता है। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन में सुगमता रहेगी। पे्रम-प्रसंग को लेकर पूर्वाद्र्व में कोई अच्छा निर्णय हो सकता है। इस समय अपने माता-पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। आपकी आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। कोई महत्वपूणर््ा निर्णय अभी लेना उचित नहीं रहेगा।

उपाय: सूर्य भगवान को अध्र्य दें। पीली हकीक माला धारण करें। केतु मंत्र ॐ  कें केतवे नमः का जाप करें /केसर का तिलक लगायें।

मीन राशि 
नामाक्षर: आपकी राशि  मीन है, यदि आपका जन्म नाम निम्न में से किसी अक्षर से प्रारम्भ हो रहा है- दी,दू,थ,झ,ण,दे,दो,च,ची
अनुकूल अंक: 1,2,3,9
अनुकूल दिवस: रविवार,सोमवार,मंगलवार,गुरूवार।
अनुकूल देवता: विष्णु भगवान।

 मीन राशि  वालों के लिये यह माह अत्यंत परेशानी दायक बन रहा है। इस माह आकस्मिक परेशानी यां का सामना अधिक करना पडेगा। कार्य व्यवसाय में अनायास अनेक प्रकार की बाधायें आयेगी। हर क्षेत्र से निराषा हो सकती इस समय आपको कार्य व्यवसाय में नुकसान उठाना पडेगा। साझेदारी टुट सकती है। जीवनसाथी से कलह चल रहा है तो इस माह आपको जीवनसाथी से संबंध सुधारने की कोषिष करनी चाहियेे अन्यथा स्थिति बिगड सकती है। शेयर बाजार मेें निवेष करने से आपको हानि होगी। इस माह शेयर बाजार में निवेष नहीं करें तो आपके लिये शुभ रहेगा। परिवार एवं इष्ट मित्रों का भी सहयोग कम ही रहेगा। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन में रूचि नहीं रहेगी। विद्याध्ययन के प्रति सजग रहना चाहिये। नृत्य एवं संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वालों को भी कोई राहत प्राप्त नहीं होगी। इस समय आप पर कर्जभार की स्थिति बनेगी। खर्च की अधिकता के कारण आप परेषान रहेंगे। इस माह आपको वाद-विवाद से दूर रहना चाहिये। संभव हो तो मौन व्रत धारण कर लें।

उपाय: पुखराज एवं मोती अवष्य धारण करें। श्रीसूक्त का पाठ करें। पक्षियों को मूंग खिलायें। गायत्री मंत्र का जाप करें।
                              ............................वागा राम परिहार                                                                                                                                                   मुकाम   पोस्ट आमलारी........ वाया  दांतराई........ जिला सिरोही...... राजस्थान  307512 .........................मोबा 09001846274 ,09001742766   ..email...pariharastro444@gmail.com


शनिवार, 18 अगस्त 2012

विवाह मिलान मे नाड़ी दोष


विवाह मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार मे बंधने से पूर्व वर एवं कन्या के जन्म नामानुसार गुण मिलान करके की परिपाटी है। गुण मिलान नही होने पर सर्वगुण सम्पन्न कन्या भी अच्छी जीवनसाथी सिद्व नही होगी। गुण मिलाने हेतु मुख्य रुप से अष्टकूटों का मिला न किया जाता है। ये अष्टकुट है 1,वर्ण 2,वैश्य 3,तारा 4,योनी 5,ग्रहमैत्री 6गण 7,राशि 8,नाड़ी। इस अष्टकुट मे से नाड़ी विचार सर्वप्रथम विचारणीय है। इसी कारण नाड़ी के सर्वाधिक आठ अंक दिये जाते है। यदि वर एवं कन्या कि नाड़ी अलग -अलग हो तो नाड़ी शुद्धि मानी जाती है। यदि वर एवं कन्या दोनो का जन्म यदि एक ही नाड़ी मे हो तो नाड़ी दोष माना जाता है।
नाड़ी दोष होने पर यदि अधिक गुण प्राप्त हो रहे हो तो भी गुण मिलान को सही माना जा सकता अन्यता उनमे व्याभिचार का दोष पैदा होने की सभांवना रहती है। मध्य नाड़ी को पित स्वभाव की मानी गई है। इस लिए मध्य नाड़ी के वर का विवाह मध्य नाड़ी की कन्या से हो जाए तो उनमेे परस्पर अंह के कारण सम्बंन्ध अच्छे बन पाते। उनमे विकर्षण कि सभांवना बनती है। परस्पर लडाई -झगडे होकर तलाक की नौबत आ जाती है। विवाह के पश्चात् संतान सुख कम मिलता है। गर्भपात की समस्या ज्यादा बनती है। अन्त्य नाड़ी को कफ स्वभाव की मानी इस प्रकार की स्थिति मे प्रबल नाडी दोश होने के कारण विवाह करते समय अवश्य ध्यान रखे। सामान्य नाड़ी दोश होने पर किस प्रकार के उपाय दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने का प्रयास कर सकते है, आइएजाने                            
1,आदि नाड़ी - अश्विनी ,आद्र्रा पुनर्वसु ,उ,फा, हस्त ज्येष्ठा ,मुल ,शतभुशा, पुर्वाभाद्रनद
2,मध्य नाड़ी - भरणी ,मृगशिरा ,पुष्य, पुर्वाफाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पुर्वाषाढा, धनिष्ठा, उत्तरासभाद्रपद
3, अन्त्य नाड़ी - कृतिका, रोहिणी, अश्लेशा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढा,श्रवण, रेवती,
आदि मध्य व अन्त्य नाड़ी का यह विचार सर्वत्र प्रचलित है लेकिन कुछ स्थानो पर चर्तुनाड़ी एवं पंचनाड़ी चक्र भी प्रचलित है। लेकिन व्यावहारिक रुप से त्रिनाडी चक्र ही सर्वथा उपयुक्त जान पडता है। नाड़ी दोष को इतना अधिक महत्व क्यो दिया गया है, इसके बारे मे जानकारी हेतु त्रिनाड़ी स्वभाव की जानकारी होनी आवष्यक है। आदि नाड़ी वात् स्वभाव की मानी गई है, मध्य नाड़ी पित स्वभाव की मानी गई है। एवं मध्य नाड़ी पित प्रति एवं अन्त्य नाड़ी कफ स्वभाव की। यदि वर एवं कन्या की नाड़ी एक ही हो तो नाड़ी दोष माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यही है कि वात् स्वभाव के वर का विवाह यदि वात स्वभाव की कन्या से हो तो उनमे चंचलता की अधिकता के कारण समर्पण व आकर्षण की भावना विकसित नही हाती। विवाह के पष्चात   उत्पन्न संतान मे भी वात सभंावना रहती है। इसी आधार पर आद्य नाड़ी वाले वर का विवाह आद्य नाड़ी की कन्या से वर्जित माना गया है। अन्यथा उनमे व्याभिचार का दोष पैदा होने की संभावना रहती है। मध्य नाड़ी को पित स्वभाव की मानी गई है। इसलिए मध्य नाड़ी के वर का विवाह मध्य नाड़ी की कन्या से हो जाए तो उनमें परस्पर अह ंके कारण सम्बंन्ध अच्छे नही बन पाते। उनमें विकर्षण की सभंावना बनती है। परस्पर लडाई-झगडे होकर तलाक की नौबत आ जाती है। विवाह के पश्चात् संतान सुख कम मिलता है। गर्भपात की समस्या ज्यादा बनती है अन्त्य नाड़ी को कफ स्वभाव की मानी गई है। इसलिए अन्त्य नाड़ी के वर का विवाह यदि अन्त्य नाड़ी की महिला से हो तो उनमे कामभाव की कमी पैदा होने लगती है। शंात स्वभाव के कारण उनमे परस्पर सामंजस्य का अभाव रहता है। दाम्पत्य मे गलत फहमी होना भी स्वभाविक होती है। नाड़ी होने पर विवाह न करना ही उचित माना जाता है। लेकिन नाडी दोष परिहार की स्थिति मे यदि कुण्डली मिलान उत्तम बना रहा है तो विवाह किया जा सकता है।
नाड़ी दोष परिहार-
1, वर कन्या की एक राशि हो लेकिन जन्म नक्षत्र अलग-अलग हो या जन्म नक्षत्र एक ही हो परन्तु राशियां अलग हो तो नाड़ी नही होता है। यदि जन्म नक्षत्र एक ही हो लेकिन चरण भेद हो तो अति आवश्यकता अर्थात् सगाई हो गई हो, एक दुसरे को पंसद  करते हों तब इस स्थिति मे विवाह किया जा सकता है।
2, विशाखा, अनुराधा, धनिष्ठा, रेवति,  हस्त,  स्वाति,  आद्र्रा, पूर्वाभद्रपद इन 8 नक्षत्रो मे से किसी नक्षत्र मे वर कन्या का जन्म हो तो नाड़ी दोष नही रहता है।
3, उत्तराभाद्रपद, रेवती, रोहिणी, विषाख, आद्र्रा, श्रवण, पुष्य, मघा, इन नक्षत्र मे भी वर कन्या का जन्म नक्षत्र पडे तो नाड़ी दोष नही रहता है। उपरोक्त मत कालिदास का है।
4, वर एवं कन्या के राषिपति यदि बुध, गुरू, एवं शुक्र मे से कोई एक अथवा दोनो के राशिपति एक ही हो तो नाड़ी दोष नही रहता है।
5, आर्चाय सीताराम झा के अनुसार-नाड़ी दोष विप्र वर्ण पर प्रभावी माना जाता है। यदि वर एवं कन्या दोनो जन्म से विप्र हो तो उनमे नाड़ी दोष प्रबल माना जाता है। अन्य वर्णो पर नाड़ी पूर्ण प्रभावी नही रहता। यदि विप्र वर्ण पर नाड़ी दोष प्रभावी माने तो नियम नं 4 का हनन होता हैं। क्योंकि बृहस्पती एवं शुक्र को विप्र वर्ण का माना गया हैं। यदि वर कन्या के राशिपति विप्र वर्ण ग्रह हों तो इसके अनुसार नाडी दोष नही रहता । विप्र वर्ण की राशियों में भी बुध व षुक्र राशिपति बनते हैं।
6 सप्तमेश स्वगृही होकर शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो एवं वर कन्या के जन्म नक्षत्र चरण में भिन्नता हो तो नाडी दोष नही रहता हैं। इन परिहार वचनों के अलावा कुछ प्रबल नाडी दोष के योग भी बनते हैं जिनके होने पर विवाह न करना ही उचित हैं। यदि वर एवं कन्या की नाडी एक हो एवं निम्न में से कोई युग्म वर कन्या का जन्म नक्षत्र हो तो विवाह न करें।
1 आदि नाडी - अश्विनी-ज्येष्ठा, हस्त-शतभिषा, उ.फा.-पू.भा. अर्थात यदि वर का नक्षत्र अश्विनी हो तो कन्या नक्षत्र ज्येष्ठा होने पर प्रबल नाडी दोष होगा। इसी प्रकार कन्या नक्षत्र अश्विनी हो तो वर का नक्षत्र ज्येष्ठा होने पर भी प्रबल नाडी दोष होगा। इसी प्रकार आगे के युग्मों से भी अभिप्राय समझें।
2  मध्य नाडी- भरणी-अनुराधा, पूर्वाफाल्गुनी-उतराफाल्गुनी, पुष्य-पूर्वाषाढा, मृगशिरा-चित्रा, चित्रा-धनिष्ठा, मृगशिरा-धनिष्ठा।
3  अन्त्य नाडी- कृतिका-विशाखा, रोहिणी-स्वाति, मघा-रेवती; इस प्रकार की स्थिति में प्रबल नाडी दोष होने के कारण विवाह करते समय अवश्य ध्यान रखें। सामान्य नाडी दोष होने पर किस प्रकार के उपाय दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने का प्रयास कर सकते हैं, आइए जाने-          
नाड़ी दोष उपाय-
1, वर एवं कन्या दोनो मध्य नाड़ी मे उत्पन्न हो तो पुरुष को प्राण भय रहता है। इसी स्थिति मे पुरुष को महामृत्यंजय जाप करना यदि अतिआवश्यक है। यदि वर एवं कन्या दोनो की नाड़ी आदि या अन्त्य हो तो स्त्री को प्राणभय की सभंावना रहती है। इसलिए इस स्थिति मे कन्या महामृत्युजय अवश्य करे।
2, नाड़ी दोष होने संकल्प लेकर किसी ब्राह्यण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए।
3, अपनी सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करे एवं साथ मे ब्राह्यण भोजन कराकर वस्त्र दान करे।
4, नाड़ी दोष के प्रभाव को दुर करने हेतु अनुकूल आहार दान करे। अर्थातृ आयुेर्वेद के मतानुसार जिस दोष की अधिकतम बने उस दोष को दुर करने वाले आंहार का सेवन करे।
5,वर एवं कन्या मे से जिसे मारकेश की दशा चल रही हो उसको दशानाथ का उपाय दशाकाल तक अवश्य करना चाहिए।
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                                                                 मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई
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शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

दिलों को तोडता है शनि


शनि को विच्छेदात्मक प्रभाव/पृथकताजनक प्रभाव वाला ग्रह माना जाता है। जब शनि की पंचम भाव व पंचमेश एवं शुक्र पर दृष्टि होगी तो निश्चय रूप् से जातक को प्रेम में धोखा खाना पडेगा।
जप्मांग चक्र में शनि का जितना प्रभाव प्रेम कारकों पर बढता जाता है उतना  ही प्रेम कमजोर होता जाता है।
 सूर्य पुत्र शनि के बारे में सभी जन पर्याप्त वाकिफ है। शनि का नाम सुनते ही प्रत्येक जातक भय से आक्रान्त हो जाता है। हो भी क्यों नही जब प्रथम पूजनीय गणेश जी पर भी शनि की दृष्टि पडी तो उनका सिर भी शरीर से पृथक हो गया तो मानव की तो औकात ही क्या है? इसके अनुसार शनि की दृष्टि स्थिति से अधिक हानिकारक है। शनि को दुःख, अभाव का कारक ग्रह माना जाता है। जन्म समय में जो गृह बलवान हो उसके कारकत्वों की वृद्धि होती है एवं निर्बल होने पर हीनता होती है। पर शनि के विषय में विपरीत है। शनि निर्बल होने पर अधिक दुःख व बलवान होने पर दु5ख का नाशक मानते है। कहा भी है-
                आत्माादयो गगनगैर्बलिभिर्बलन्तराः।
                दुर्बलै दुर्बलाः ज्ञेया विपरीतं शनैः फलम्।।
पूर्व जन्म के शुभाशुभ कर्मो के अनुसार ही इस जन्म में जातक को शुभाशुभ फल नियत समय पर प्राप्त होते हैं। इन पूर्वोपार्जित फलों के भुगतान हेतु ही किसी जातक का जन्म निश्चित समय पर होता है। जिसका अध्ययन ज्योतिष में जन्मांग चक्र के बारह भावों में जातक के संपूर्ण जीवन चक्र का ब्योरा निर्धारित रहता है जो दशाकाल एवं गोचर के अनुसार जातक को प्राप्त होता रहता है। जन्मांग चक्र में प्रथम भाव सम्पूर्ण व्यक्तित्व का, तृतीय भाव इच्छा का, चतुर्थ भाव हृदय का, पंचम भाव प्रेम का, सप्तम भाव जीवनसाथी का, नवम भाव भी पंचम भाव से पंचम होने के कारण प्रेम का एवं एकादश भाव संपूर्ण उच्चतर लाभ या जीवनसाथी के प्यार का भाव है। जन्मांग चक्र में चंद्र को मन का, शुक्र को प्रेम का कारक ग्रह मानते है। पंचम भाव व पंचमेश भी प्रेम के कारक बनते हैं शनि को विच्छेदात्मक प्रभाव/पृथकताजनक प्रभाव वाला ग्रह माना जाता है। जब शनि की पंचम भाव व पंचमेश एवं शुक्र पर दृष्टि होगी तो निश्चय रूप् से जातक को प्रेम में धोखा खाना पडेगा। जातक को किन्ही परिस्थितियों के कारण अपने प्रेम को त्यागना पडेगा। चाहे परिस्थितियों के कुछ भी बन जायें। लेकिन इसके मूल में शनि का दृष्टि प्रभाव अधिक नजर आया है। मेरा निजी मतह ै कि यदि शनि की इन तीनों कारकों पर दुष्टि हो तो प्रेम कभी सफल नही हो सकता।                                                                                                                           परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
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गुरुवार, 16 अगस्त 2012

आप भी बन सकते हैं प्रशासनिक अधिकारी


प्रतिस्पर्धा के इस युग में राजकीय सेवा प्राप्त करना कठिन होता जा रहा है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी बनना किसी भाग्यशाली का ही लक्षण है। युवाओें में प्रशासनिक अधिकारी बनने को लेकर इतना क्रेज बढ रहा है कि डाॅक्टर, इन्जीयनियर जैसी अच्छी सर्विस वाले भी इसके प्रति अति उत्साहित नजर आ रहे है।लेकिन कहते है कि समय से पहले भाग्य से अधिक किसी को प्राप्त नही होता। फिर भी यदि ज्योतिष का सहारा लेकर कुछ उपाय जाए तो मार्ग आने वाली बाधाएं दुर होकर सेवा के योग अवश्य बनने लगते हैं मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती। लेकिन मानव मेहनत करते-करते थक जाता है तो उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। आत्मविश्वास आपको सफलता का मार्ग अवश्य दिखाता है। विधारण्यक मुनि ने गायत्री के 23 पुरश्ररण किए लेकिन फिर भी गायत्री माता के दर्शन नहीं हुए तो उनका आत्मविश्वास भी डगमगा गया। फलतः सन्यास ले लिया। संन्यास लेते ही गायत्री माता के दर्शन हुए जब ऐसे ऋषियो का आत्मविश्वास डगमगा सकता है। तो सामान्य मानव की तो बात ही क्या। मैंने ऐसी कई कुण्डलियो का अध्ययन किया है। जिनमें प्रबल राजयोग होने के कारण प्रथम प्रयास मे ही प्रशासनिक अधिकारी बनने का मौका प्राप्त हुआ। तो कुछ ऐसे प्रतिभागियो की कुण्डलियो का विश्लेषण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिन्हे कमजोर राजयोग के कारण अन्तिम समय मे निराशा ही हाथ लगी। वो भी एक बार नहीं तीन-तीन बार। तो इस प्रकार की स्थिति को भाग्य का खेल ही कहा जाता हंै। 
प्रशासनिक सेवाओ भाग्य आजमाने वालो हेतु जातक यदि कुण्डली का विश्लेषण करे तो स्पष्ट हो जाता है कि उनके योग राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय स्तरीय प्रशासनिक सेवाओ हेतु क्या बन रहा हैं। यदि इस प्रकार के योग प्रबल होकर उपस्थित है तो राष्ट्र स्तरीय एव ंअपेक्षाकृत कुछ योग कमजोर है तो राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवाओ मे मौका पा रहे सकते है। योग कारक के ग्रहो के आधार  पर प्रशासनिक सेवा का वर्गीकरण यथा पुलिस, राजस्व वित्त एवं अन्य प्रकार की सेवा के योग हो सकते हैं। सामान्य तौर पर जो योग इन पर सेवाओ हेतु प्रभावी पाए गए हैं वे निम्न 
1   यदि कारकांश कुण्डली में सूर्य लग्न में मेष राशि का होकर स्थित हो एवं अन्य ग्रहों में से अधिकांश शुभ स्थित मे हो तो जातक राष्ट्रीय स्तर का अर्थात आइ.ए.एस. बन सकता है।
2   यदि दशम स्थान का स्वामी शुभ ग्रह होकर अपने उच्च नवांश में या उच्च राशि में स्थित हो, दशमेश व दशम भाव पर कई शुभ ग्रहों की दृष्टि भी हो तो जातक आइ.ए.एस. बन सकता है। अपेक्षा कृत कुछ कमजोर ग्रहों की युति-दृष्टि या एक-दो पापग्रहों का सामान्य प्रभाव हो तो राज्य स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
3   यदि दशमेश मृदृ षष्टयंश हो, शुभ ग्रह के नवांश में हो एवं केन्द्र स्थान बली होकर दशम में उच्चस्थ शुभ ग्रह हो तो जातक प्रशाासनिक अधिकारी बनता है। 
4   यदि दशम भाव पर दशमेश की दृष्टि हो, जन्मांक चक्र में परस्पर दो या तीन व्यत्यय योग भी बन रहे हो, लग्नेश बलवान हो तो जातक को प्रशासनिक सेवा का योग बनता है। 
5   सुर्य केन्द्र स्थान में उच्च राशि या उच्च नवांश मंे हो, दशमेश लाभ भाव में लग्नेश व भाग्येश अपने घर में या परस्पर परिवर्तन योग कर स्थित हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बन सकता है।
6   द्वितीययेश केन्द्र स्थानों में अपनी उच्च राशि में हो और उसे शुभ ग्रह देखते हो शुभ ग्रह केन्द्र स्थानों में पापग्रह तृतीय, षष्ट व एकादश भाव में स्थित हो तो जातक उच्च पदासीन होता है।
7   पंचमेश उच्च राशि या उच्च नवांश में पंचम स्थान में स्थित हो एवं बलवान दशमेश व नवमेश की युति लग्न, सप्तम या दशम भाव में बन रही हो तो जातक आई. ए. एस. बन सकता है। इनमें मंगल का प्रभाव हो तो जातक आई. पी. एस. अधिकारी बनता है।
8   शनि नवम स्थान में हो व दशम में मकर राशि या नवांश में मंगल स्थित हो बुध, बृह. व शुक्र पंचम भाव में स्थित हो एवं पंचम भाव में कोई एक अपने उच्च नवांश में हो तो जातक आई.पी.एस. की सेवा में जा सकता है।
9   बृह. लग्न में, सूर्य सप्तम या चतुर्थ भाव में हो व पंचम में वक्री हो कर शुक्र स्थित हो तों जातक राष्ट्रीय स्तर का प्रशासनिक अधिकारी होता है।
10  चन्द्र कुण्डली में तृृतीय स्थान में सूर्य व शनि हो, चतुर्थ स्थान में बुध व शुक्र हो , एकादश स्थान में बृह. हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनता है। इस योग में मंगल द्वितीय या द्वादश भाव में स्थित हो तो योग प्रबल रहेगा।
प्रशासनिक सेवा उच्च राजकीय सेवा हैं अतः इस हेतु कुण्डली मं तीन या तीन से अधिक ग्रह उच्च राशि या उच्च नवांश मं स्थित होने पर सेवा योग प्रबल बनता है बली ग्रह कम हो लेकिन अपने भाव मं एवं व्यत्यय योग भी बन रहे हो तो सेवा के योग अवश्व बनते है। प्रशासनिक अधिकारी बनते हेतु दशमस्थ, लग्नस्थ या दशमेश-लग्नेश की दशा अन्तर्दशा को होना बहुत महत्वपुर्ण हो। इनमें से बलवान ग्रह की दशा मं जातक को राजसेवा मिलती है। कई बार प्रमियोगी प्रारंभिक परीक्षा में तो सफल हो जाते है। लेकिन साक्षात्कार में जाते ही असफल हो जाते है। इसका कारण साक्षात्कार के समय कमजोर ग्रह की अन्तर्दशा का होना मुख्य है। कुछ जातक लग्नेश की कमजोरी के कारण भी साक्षात्कार में सफल नहीं हो पाते। साक्षात्कार सम्पूर्ण व्यक्तित्व के बारे मंे तथ्य जुटाने का जरिया है। कहा भी है- छिद्रं छिद्रग्रहारिभिः शत्रुभिः अन्विठयमाण अनर्थमुलं वस्तु वा रहस्यभूतं किमपि अवस्थान्तरम अर्थात शत्रु नीचगत, छिद्रग्रह की दशा में राज्य का नाश होता है। यदि साक्षात्कार के समय अत्यन्त निर्बल हो तो किसी भी प्रकार से सेवा का योग नहीं बन पाता। लेकिन साधारण बली होने पर दूसरो की सहायता द्वारा सेवा प्राप्ति बन सकती है । आइये उदाहरण कुण्डलियों द्वारा समझने का प्रयास करें।
     
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मंगलवार, 14 अगस्त 2012

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं...

 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं...

आपकी खिदमत  में प्रस्तुत एक नयी कविता----

धरती चोरां री------=========

धरती चोरां री !
ओ ओ धरती चोरां री !
ईं पर भूत रमण नै आवै
देवता देख परा डर जावै
नेता माल मोकळा खावै
बेचता देस नीं सरमावै !
धरती जब्बर जोरां री
धरती चोरां री !

चंदो धाप-धाप बपरावै
मिल बांट पर सब खावै
पोता बेटा चुनाव लड़ावै
बै कुरसी जा चिप जावै
तरी नेताजी रै छोरां री
धरती चोरां री

टेंडर नोट घणां बरसावै
नेता भर भर झोळा ल्यावै
ओडर भाई-भतीजा पावै
पईसा बैंक विदेसां जावै
धरती नुगरै जोरां री
धरती चोरां री !

जनता घाल बोट भूल जावै
पछै नेता देस पड़्या गुड़कावै
घोटाला बै घोट घोट घुंकावै
जनता पांच साल पड़ी सुसतावै
धरती भ्रष्ट घनघोरां री
धरती चोरां री !

जनता मधरी मधरी फरमावै
नेता काढ परा आंख डरावै
छाती ठोक लोकराज बतावै
नोकर जस सरकारी गावै
धरती डोफा ढोरां री
धरती चोरां री !

रविवार, 12 अगस्त 2012

रोग निवारण में रत्नों का योगदान


रोग निवारण में रत्नों का योगदान---

औषधि मणि मन्त्राणां ग्रह नक्षत्र तारिका                                                                                             भाग्यकाले भवेत्सीद्वि अभाग्यं निष्फलं भवेत।। 
                                                                                                     
अर्थात औषधि रत्न एंव मंत्र चिकित्सा अनुकुल भाग्य होने पर अच्छा फल देती हैं लेकिन प्रतिकुल भाग्य होने पर इसका प्रभाव नहीं रहता। इसे दूसरे शब्दों में कहा जाये तो अनुकुल भाग्य होने पर औषधि रत्न एंव मंत्र पूर्णयता फल देने में समर्थ होते हैं लेकिन प्रतिकुल भाग्य होने पर औषधि रत्न एंव मंत्र सर्वप्रथम ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव को नष्ट करने के कारण उनका फल स्पष्ट रुप से दिख नहीं पाता लेकिन फल अवश्य प्राप्त होता हैं। ग्रह प्रतिकूल होने पर औषधियां भी अनूकूल फल प्रदान नहीं कर पाती क्योंकि ग्रह औषधियों के गुण को भी नष्ट करने की सामथ्र्य रखते है। औषधि चिकित्सा प्रभावी न होने पर रत्न चिकित्सा ही कारगर मानी गई हैं । चरक संहिता में भी रोग निदान हेतु रत्नो का प्रयोग करने का निर्देंश हैं । 

आइये कौन-सा रत्न किस रोग के उपचार में प्रभावी है---
              
(1)माणिक्यः-माणिक्य को सूर्य ग्रह का रत्न माना जाता है। सूर्य को हृदय का कारक ग्रह माना जाता है इसलिये हृदय रोग से पीडित व्यक्तियों हेतु माणिक्य रत्न परम उपयोगी हैं। रक्त संचरण सम्बंधी रोग नैत्र रोगो अर्थात रतौंधी आत्मविश्वास ज्वर आदि रोगो के उपचार में परम उपयोगी हें।                                                                                         (2)मोतीः-मोती को चंद्र रत्न माना जाता हैं चंद्र को मन का कारक माना जाता है। इसलिये मानसिक तनाव पागलपन उच्च रक्तचाप निद्रां क्षय रोग जीर्णता खाँसी आदि रोगों के उपचार हेतु मोती धारण करना ही समझदारी हैं।                                                                                                                                                  (3)मूँगाः-मूँगा को मंगल का रत्न माना जाता है। आलस्य तेज ज्वर अग्नि मंदता रक्तस्त्राव चेचक फोडे-फुंसियाँ अग्नि दुर्घटना अण्डवृ़़़द्वि अण्डकोष में पानी उतरना आदि रोगो में मूँगा धारण करना चाहिए।                            (4)पन्नाः-पन्ना को बुध का रत्न माना जाता हैं इसलिये मानसिक रोग बु़द्धि ज्वर त्वचा रोग सफेद दाग-धब्बे बदहजमी कुष्ठ रोग बावासीर स्नासुविकार हकलाहट आंत्र रोग त्रिदोषज रोगो में पन्ना धारण करना चाहिये ।  
(5)पुखराजः-पुखराज को बृहस्पति का रत्न माना जाता हैं। इसलिये पित्त विकार तिल्ली वृद्वि एपेन्डिसाइटिस यकृत रोग आंत्र विकार चक्कर आना हरनिया कर्ण विहार गर्भपात एसिडिटी आदि में पुखराज धारण करने से लाभ प्राप्त होता हैं। 
(6)हीराः- हीरा को शुक्र का रत्न माना जाता हैं। सभी प्रकार के मूत्र संस्थान सम्बंधी रतिक्रिया सम्बंधी रोग मधुमेह शोथ विकार शुक्राणुओं एवं अण्डाणुओं की कमी प्रमेह आदि रोगो में हीरा धारण करने से लाभ होता हैं। 
(7)नीलमः-नीलम को शनि का रत्न माना जाता है। इसलिये लकवा गठिया यकृत वृ़़द्वि जोडों के रोग मानसिक असंतुलन दमा कब्ज किसी भी प्रकार का वायु विकार हिचकी आदि में नीलम धारण करना लाभप्रद हैं। 
(8)गोमेदः-गोमेद को राहु का रत्न माना जाता है। इसलिये मिर्गी चेचक भुत-प्रेत बाधा मिचली क्षयरोग हिचकी वमन पागलपन भ्रमरोग भय विष विकार कुष्ट रोग तत्रं बाधा एंव किसी भी प्रकार की आक्समिक व्याधि होने पर गोमेद धारण करना चाहिये । 
(9)लहसूनियाः-लहसूनिया केतु का रत्न माना जाता हैं। इसलिये खुजली खसरा कुष्ट रोग रक्त विकार आदि में लहसुनिया धारण करना उत्तम रहता हैं। पथरी कब्जियत नींद न आना बुरे-बुरे स्वप्न एंव विचार नींद न आने पर भी धारण करें। इसके अतिरिक्त हकलाहट हेतु हरि तुरमली स्वप्नदोष हेतु ओपल मनःस्ताप हेतु चन्द्रकांत मणि श्वेत तुरमली पाण्डु उदर रोग क्षय प्रमेह वीर्य विकार किडनी स्टोन गुर्दे सम्बंधित किसी भी प्रकार की परेशानी हेतु पित्तोनिया पित्त विकार हेतु क्रिसोप्रेज वृक्क मूत्राशय नजर दोष जोडो का दर्द व शोथ हेतु संगें यशब धारण, हृदय कम्पन, तंत्र ्िरकया व नजर दोस हेतु, मानसिक रोगों व अपस्मार मे जद्द, पित्त रोगो मे मरगज, रात्रि ज्वर होने पर शताश्यक धारण करना चाहिए। रत्न धारण करते समय वह अवश्य ध्यान रखे कि रत्न किसी भी प्रकार के दोष से युक्त न हो। षष्ठेश, अष्ठमेश,व द्वादशेश होने पर सम्बंधित रत्न धारण नहीं करे। इसके अलावा द्वितीयेश, तृतीयेश सप्तमेश व एकादशेश का रत्न भी धारण करते समय विशेष सावधानी बरते। जहा तक हो सके संम्बधित ग्रह के मंत्र से रत्न को पूरित अवश्य करे...

                                         

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आपके लिए लाभदायक व्यवसाय या नौकरी ?


जीवन मे 1 बार स्वर्णिम काल जरुर आता है। इनका यदि समय रहते पता चल जाये तो उनका जीवन सुखमय बन सकता है। लेकिन आज प्रंत्येक व्यक्ति शीघ्र सफलता के लालच मे आकर जोखिमपूर्ण निर्णय ले लेता है। जिसमे उसका विकास स्तर गडबडा जाता है। कुछ भाग्यशाली ही ऐसे होते है। जिन्हे पत्येक कार्य मे सफलता होती रहती है। कुछ जातक नौकरी करके ही अपने स्तर को सुधार सकते है तो कुछ हेतु व्यवसाय लाभप्रद रहता है। आपके जन्मांग मे स्थित ग्रह स्थितियो से निर्धारण किया जा सकता है कि आपके लिए नौकरी लाभदायक रहेगी व्यावसाय।
जन्मांग चक्र मे लग्न सम्पूर्ण व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है तो द्वितीय भाव धन का पंचम भाव 
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे एक आक्स्मिक लाभ का चतुर्थ भाव जनता का दशम भाव कर्म का तो एकादश भाव सर्वाधिक  लाभ का जन्मांग चक्र में इन भावों में शुभ ग्रहों का स्थित होना एवं इन भावेशों  का बलवान होना जातक के चारों  तरफ के श्वर्णिम अवसर पैदा करता है इस श्थिति में जातक को व्यवसाय का चयन करना लाभकारी है इसके विपरित ग्रह श्थिति हो तो जातक को नौकरी ज्यादा फायदेमंद है यदि जन्मांग में चन्द्र निर्बल होकर स्थिति हो एवं चन्द्र के द्वादश भाव व द्वितीय भाव में कोई ग्रह स्थिति नहीं हो तो केमुद्रूम नामक दरिद्र योग बनता है जातक की इस स्थिति में आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती चन्द्र से छठे या आठवें भाव में बृहश्पति स्थित हो तो संकट योग बनता है जो धन की कमी दर्शाता है  इस स्थिति में भी नौकरी उपयुक्त रहती है इसके अतिरिक्त धनेश लाभेश या पंचमेश की नीच श्थिति इसका पापग्रहों के प्रभाव में होना त्रिक भावों में त्रिकेश के साथ होना इसका बाल्यावस्था या मृतावस्था में होना सुर्य के साथ होकर अस्त होना षडवर्गहीन होना इन भावों में किसी नीच ग्रह की स्थिति लग्न से अष्टम में क्षीण चंन्द्र सूर्य के साथ स्थित चन्द्र पापग्रह के नवांश में हो लग्न या चन्द्र से चारों केंन्द्रो में पापग्रह स्थित हो चन्द्र पर राहु केतु का प्रभाव हो चर राशि-नवांश में स्थित होकर चन्द्र राश्मिहीन हो,भाग्येश की अपेशा अष्टमेश बलवान हो तो जातक को नौकरी करना लाभदायक है ! यदि इस प्रकार स्थिति जंन्माग में मौजूद हों एंव जातक व्यापार व्यवसाय शुरु कर लेता है तो निश्चित रुप से हानि उठानी पडेगी । यदि हानि नहीं हों तो लाभ की स्थिति भी बन पायेगी । इसके विपरित चंन्द्र से व लग्न से केन्द्र में शुभ ग्रह हो चन्द्र उच्च राशि या नवांश का होकर सूर्य से पांच छः भाव आगे स्थित हो चन्द्र के दोनो ओर शुभ ग्रह स्थित होना जातक की आर्थिक स्थिति में तीव्रमय सुधार करने की अपेक्षा रखते है। अतः ऐसे जातक को नौकरी की जगह व्यवसाय करना अधिक फायदेमंद रहता हैं। यदि जन्मांग में मिश्रित योग स्थित हो तो नौकरी के साथ-साथ र्पाट-टाईम बिजनेस भी किया जा सकता है इन सबका विचार करने के लिये दशा एंव गोचर का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिये। यदि जन्मांग में व्यवसाय हेतु उतम योग स्थित है लेकिन गोचर एंव दशा प्रतिकूल है तो अनुकुल दशा आने तक नौकरी करना समझदारी है।                               
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शनिकृत रोगों को दूर करने हेतु कुछ सामान्य एवं प्रभावी उपाय


1. शनि मुद्रिका शनिवार के दिन शनि मंत्र का जाप करते हुये धारण करें। काले घोडे की नाल प्राप्त कर घर के मुख्य दरवाजे परके ऊपर लगायें।
2. ब्ीसा यंत्र से नीलम जडकर धारण करें। शनि यंत्र को शनिवार के दिन, शनि की होरा में अष्टगंध में भोजपत्र पर बनाकर उडद के आटे से दीपक बनाकर उसमें तेल डालकर दीप प्रज्जवलित करें। फिर शनि मंत्र का जाप करते हुये यंत्र पर खेजडी  के फुल पत्र अर्पित करें। तत्पश्चात इसे धारण करने से राहत मिलती हैं।
3 उडद के आटे की रोटी बनाकर उस पर तेल लगायें। फिर कुछ उडद के दाने उस पर रखें। अब रोगी के उपर से सात बार उसारकर शमशान में उसे रख आयें। घर से निकालते समय व वापिस घर आते समय पीछे कदापि नही देखें एवं न ही इस अवधि में किसी से बात करें। ऐसा प्रयोग 21 दिन करने से राहत मिलती है। पूर्ण राहत न मिलने की स्थिति में इसे बढाकर 43 या 73 दिन तक बिना नागा करें। केवल पुरूष ही प्रयोग करें एवं समय एक ही रखें।
4..मिट्टी के नये  छोटे घडे में पानी भरकर रोगी पर से सात बार उसार कर उस जल से 23 दिन खेजडी को सींचें। इस अवधि में रोगी के सिर से नख तक की नाप का काला धागा भी प्रतिदिन खेजडी पर लपेटते रहें। इससे भी जातक को चमत्कारिक ढंग से राहत मिलती हैं।
5..सात शनिवार को बीसों नाखूनों को काटकर घर पर ही इकट्ठे कर लें। फिर एक नारियल, कच्चे कोयले, काले तिल व उडद काले कपउे में बांधकर शरीर से उसारकर किसी बहते पवित्र जल में रोगी के कपडों के साथ प्रवाहित करें। यदि रोगी स्वंय करे तो स्नान कर कपउे वहीं छोड दें एवं नये कपउे पहन कर घर पर आ जाये। राहत अवश्य मिलेगी।
6.. किसी बर्तन में तेल को गर्म करके उसमें गुड डालकर गुलगुले उठने के बाद उतार कर उसमें रोगी अपना मुंह देखकर किसी भिखारी को दे या उडद की बनी रोटी पर इसे रखकर भैंसे को खिला दे। शनिकृत रोग का सरलतम उपाय हैं।
7.. एक नारियल के गोले में घी व सिंदुर भरकर उसे रोगी पर रखकर शमशान में रख आयें। पीछे नहीं देखना हैं तथा मार्ग में वार्तालाप नहीं करें। घर आकर हाथ-पैर धो लें।
8..शनि के तीव्रतम प्रकोप होने पर शनि मंत्र का जाप करना, सातमुखी रूद्राक्ष की अभिमंत्रित माला धारण करना एवं नित्य प्रति भोजन में से कौओं, कुत्ते व काली गाय को खिलाते रहना, यह सभी उपाय शनि कोष को कम करते हैं। इन उपायों को किसी विदृान की देख-रेख या मार्गदर्शन में करने से वांछित लाभ मिल सकता है। शमशान पर जाते समय भय नहीं रखें। तंत्रोक्त धागा पहन कर भी जानने से दुष्ट प्रवृतियां कुछ नही कर पाती हैं।                                                        परिहार ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र
                                                                 मु. पो. आमलारी, वाया- दांतराई                                                                                                      .                                                                जिला- सिरोही (राज.) 307512
                                                                 मो.   9001742766                             email...pariharastro444@gmail.com

बुधवार, 8 अगस्त 2012

कृष्ण जन्माष्टमी पर करे समस्याओ का समाधान


भगवन कृष्ण को चन्द्र  का अवतार माना जाता हैं \श्री कृष्ण मानव मात्र के लिए परम साधन हैं \इनका जन्म भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को १२ बजे रात्रि को मथुरा की जेल में हुआ था\यह पर्व देश के सभी भू भागो में मनाया जाता हैं \एस दिन व्रत एवम उपवास    रखने का अपना अलग ही महत्व हैं \एस साल यह व्रत १० अगस्त २०१२ शुक्रवार को मनाया जायेगा \इसके अगले दिन हल्का भोजन कर बरहम चर्या का पालन करे \उपवास के दिन प्रातकाल स्नान धयान          कर निवृत होकर झांकी तैयार करे फिर जल लेकर संकल्प करे \मम स्राव पाप प्रशाम्नार्थ अहम व्रतं करिष्ये \रात्रि को विधि विधान से पूजन करे \
पुष्पांजलि मंत्र .........
प्रणमे देव जननी तव्या जातस्तु वामनः \वासुदेवत तथा कृष्णो नमस्तु भ्यं नमो नमः 
इस दिन जातक अपनी समस्या के अनुसार भी मंत्र जप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं \
कुछ मंत्र ........
शीघ्र विवाह के लिए ......
ॐ क्लीम कृष्णाय गोविन्दाय गोपी जन वल्लभाय स्वाहा \    इस मंत्र का जप पुरुषो के लिए लाभदायक  हैं\ कन्या जातक इस मंत्र का जप करे ........कात्यायनी महामाये महा योगिन्य  धिश्वरी\ नन्द गोप सुतम  devi  पति में कुरु te नमः \
पितर दोष शांति हेतु ........
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 
संतान  sukh   हेतु 
देवकी सूत गोविंदा  vasudev   जगत pte  \
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम्  गत  
इन में से कोई मंत्र अपनी समस्या के अनुसार चयन कर रात्रि को जप कर फिर पर्तिदिन एक माला जप करे तो आपको अवश्य लाभ प्राप्त  होगा  \ 
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में शनि राहू एवम केतु का दोष हो उन्हें भी यह व्रत करना चाहिए \जिनका चन्द्र कमजोर हो ,अमावस्या का जन्म हो सोने का पाया हो उन्हें पूजा एवम ध्यान अवश्य करना चाहिए \कृष्ण  को चन्द्र का अवतार भी माना हे इसीलिए मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति व्रत अवश्य करे 
कुछ  अन्य मंत्र ...........----------------------------------------ॐ क्लीम कृष्णाय नमः  \
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीम कृष्णाय 
ॐ नमो भगवते जगत प्रसुताय नमः 
  ............................व्यक्ति जिनकी कुंडली में शनि रहू एवम केतु का दोष हो उन्हें भी यह व्रत करना चाहिए \जिनका चन्द्र कमजोर हो ,अमावस्या का जन्म हो सोने का पाया हो उन्हें पूजा एवम ध्यान अवश्य करना चाहिए \कृष्ण  को चन्द्र का अवतार भी माना हे इसीलिए मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति व्रत अवश्य करे 
कुछ  अन्य मंत्र ...........----------------------------------------ॐ क्लीम कृष्णाय नमः  \
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीम कृष्णाय 
ॐ नमो भगवते जगत प्रसुताय नमः                                    Pt. Vaga Ram Parihar
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रविवार, 5 अगस्त 2012

राशिफल अगस्त -- 2012

राशिफल अगस्त -- 2012  

                                     
मेष राशि---
अगस्त 2012 इस माह आपको उदर विकार के कारण परेशानी उठानी पड सकती है। पित्त विकार वालों को इस माह अपने खान-पान में विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। जीवनसाथी के स्वास्थय में सुधार होने की संभावना बन रही है। यदि जीवनसाथी से अनबन की स्थिति बनी हुई है तो माह के उत्तरार्द्ध में संबंध सुधरने की स्थिति बन रही है। राज्य की तरफ से माह के पूर्वार्द्ध में कुछ परेशानी रहेगी। व्यर्थ के वाद विवाद में न पडें। संतान पक्ष की तरफ से आपको कुछ परेशानी रहेगी। इनके स्वास्थय एवं शिक्षा को लेकर चिंता रह सकती है। शेयर बाजार में निवेश करना नुकसानदायक है। माह के उत्तरार्द्ध में आपकों चारों तरफ से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। इस समय आपके कार्य व्यवसाय में बढोतरी होगी। कार्य व्यापार से आपको आकस्मिक लाभ प्राप्ति का योग बन रहा है। मित्र वर्ग से आपको सहयोग मिलेगा।
उपाय:- रविवार के दिन सवा किलो गुड अपने सिर पर से सात बार उसारकर गाय को खिलायें। बुधवार के दिन कौडिया जलाकर उससे बनने वाली राखको जल में प्रवाहित करें। प्रतिदिन ओम विष्णुवे नमः मंत्र का जाप करते रहें। केसर का तिलक लगायें।

वृषभ राशि---
अगस्त 2012 इस माह वृषभ राशि वालों को कार्य व्यवसाय में अपेक्षित सफलता प्राप्त होगी। माह के पूर्वार्द्ध में आपको चारों तरफ से सफलता मिलेगी। इस समय आपको पारिवारिक एवं इष्ट मित्रों का सहयोग मिलने से आप प्रसत्रता अनुभव करेंगे। इस माह आप मधुर वाणी के बल पर अपना कार्य सम्पन्न करेंगे। शत्रु वर्ग का शमन होगा। माह के उत्तरार्द्ध में आपको जीवनसाथी के कमजोर स्वास्थ्य के कारण परेशानी अनुभव होगी। अपने मकान में साज-सज्जा पर भी आपको धन खर्च करना पडेगा। इस समय आपको अनजाना भय रह सकता है, जिससे आपको मानसिक तनाव बनेगा। बडों का सहयोग मिलता रहेगा। लंबी दूरी की व्यवसायिक यात्रा के कारण भी भार बनता है। अग्नि एवं अग्नि पदार्थों से सावधानी रखें। किसी स्त्री के कारण अपयश मिल सकता है।
उपाय:- मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला चढायें। तंदूर की मीठी रोटी कुत्ते को खिलायें। कुंआरी कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दें। अपने आचरण पर ध्यान रखें।

मिथुन राशि---
अगस्त 2012 मिथ्ुन राशि वालों के लिए इस माह कुछ सफलता की संभावना बन रही है। इस माह आपके कार्य व्यवसाय में कुछ सुधार की संभावना है। शेयर बाजार में निवेश कर लाभ प्राप्त कर सकते है। इस माह आपको प्रोपटी के कारण आकस्मिक लाभ की संभावना बन रही है। विद्यार्थियों के लिए इस माह शिक्षा में मन लगेगा। इस माह आप किसी धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते है। धर्म-कर्म के प्रति आपकी आस्था बढेगी। अपने कार्य व्यवसाय में दीर्घकालीन लाभ के लिए आप निवेश कर सकते है। इस माह आपको संतान की तरफ से खुशखबरी प्राप्त होगी। संतान की तरक्की के कारण आप प्रसन्नचित्त रहेगें। जीवनसाथी के कमजोर स्वास्थ्य के कारण अवश्य परेशानी रह सकती है। आर्थिक उतार-चढाव की स्थिति बनी रहेगी, इसलिए आर्थिक निर्णय बहुत ही सोच समझकर लें।
उपाय:- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पीले रंग की हकीक माला धारण करें। बुधवार को गाय को हरा चारा एवं पक्षियों को 250 ग्राम मूंग चुगने के लिए डालें।




कर्क राशि---
अगस्त 2012 कर्क राशि वालों को इस माह कार्य व्यवसाय में अत्यधिक संघर्ष का सामना करना पडेगा। इस माह आपको व्यापार में नुकसान उठाना पड सकता है। आगजनी या धोखाधडी के कारण भी हानि उठानी पड सकती है। नकली उत्पादों के कारण आपको नुकसान हो सकता है। अपने आवास में वास्तुदोष निवारण हेतु तोड-फोड कर सकते है। माता के कमजोर स्वास्थ्य को लेकर परेशान रह सकते है। यदि आप हृदय रोगी है तो इस माह आपको सावधानी की जरूरत है। विद्यार्थियों को इस माह शिक्षा में रूचि नही बनेगी। अपनी शिक्षा से परेशान होकर आप परदेश जा सकते है। इस समय अपने साझेदार से संबंध सुधारने की कोशिश करें।यदि आप साझेदारी में कोई कार्य व्यवसाय करना चाहते है तो कुछ समय आपको इंतजार करना चाहिए। खानपान में सावधानी बरतें। इस समय आपको आलस्य का त्याग कर अपने कार्य व्यवसाय पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। राजनीति में जाने वाले जातकों को कुछ समय इंतजार करना चाहिए।
उपाय:- शनि यंत्र अभिमंत्रित कर गले में धारण करें। आपको अनामिका अंगुली में मूंगा धारण करना चाहिए। प्रतिदिन कुत्ते को तंदूर की मीठी रोटी सरसों का तेल लगाकर खिलायें।


सिंह राशि----
अगस्त 2012 सिंह राशि वालों को इस माह मिश्रित फल प्राप्त होने की संभावना बन रही है। इस माह के पूर्वाद्ध में आपका आत्मविश्वास डगमगाने से परेशानी रहेगी। अपने आत्मविश्वास को दृढ रखिये। इस समय आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर रहने से कुछ परेशानी बनी रहेगी। माह के उत्तरार्द्ध में आपके कार्य में प्रगति बनेगी। कार्य व्यवसाय में लाभ की स्थिति बनने लगेगी। शनि का तुला में प्रवेश से बापको कुछ राहत प्राप्त होगी। इस समय खर्च में कमी रहेगी। अनिद्रा के कारण आपको परेशानी भी हो सकती है। इष्ट मित्रों का अपेक्षित सहयोग मिलने से भी आपको राहत प्राप्त होगी। आपके शत्रु वर्ग का शमन होगा। धन प्राप्ति में उतार चढाव की स्थिति बनी रहेगी। साझेदार से चला आ रहा विरोध कम होने लगेगा। इस समय लघु या़त्रा का योग बन रहा है जो आपके कार्य व्यवसाय में वृद्धि करेगी। अपने भाइयों से भी माह के उतरार्द्ध में सहयोग की प्राप्ति होगी। इस समय आपको यात्रा करते समय सावधानी रखनी चाहिए। यदि आप ट्रांसपोर्ट कारोबारी हैं तो आपको कुछ समय इंतजार करना चाहिए।
उपाय:- बुधवार के दिन गायों को हरा चारा खिलायें। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। हरे कपडे में नारियल, लोहे की कील, कोयला, सीसा व दूध से धुले जौ बांधकर पोटली बनाकर सिर पर से सात बार उसारकर जल में प्रवाहित करें।


कन्या राशि---
अगस्त 2012 कन्या राशि वालों को इस माह कार्य व्यवसाय से अपेक्षित सफलता प्राप्त होगी। किन्तु यह सफलता संघर्ष के साथ प्राप्त होगी। इस समय आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। परिवारजनों के अपेक्षित सहयोग के कारण आप प्रसन्नचित्त रहेगें। आपके स्वास्थ्य में भी कुछ सुधार होगा। इस समय आप कार्य व्यवसाय में परिवर्तन एवं नये कार्य व्यवसाय को भी प्रारंभ कर सकते है। संतान पक्ष की तरफ से आपकों खुशखबरी प्राप्त होगी। उनके कार्य व्यवसाय में वृद्धि का योग बन रहा है। इस समय आपको शेयर बाजार से अपेक्षित लाभ की प्राप्ति बन रही है। शेयर बाजार में निवेश करना आपके लिए लाभदायक बन रहा है। इस समय विद्यार्थी वर्ग को विद्याध्ययन में सुगमता रहेगी। उनका मन विद्याध्ययन में बना रहेगा। आपके शत्रुओं का शमन होगा। मित्र वर्ग की तरफ से भी आपको सहयोग की प्राप्ति होगी। इस समय आप जलीय यात्रा कर सकते है। ऐसे शहर में भी अपने कार्य को ले जा सकते है, जो जल के किनारे बसा हो। वाहन चलाते समय आपको इस माह भी सावधानी बरतनी चाहिये। माता के कमजोर स्वास्थ्य के कारण आप परेशान रह सकते है।
उपाय:- प्रतिदिन मंगल के मंत्र ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। कार्य में स्थिरता एवं अधिक लाभ हेतु बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलायें।


तुला राशि----
अगस्त 2012 आपके लिये यह माह कुछ राहत प्रदान करेगा। इस माह आपको कार्य व्यवसाय में वृद्धि होगी। आकस्मिक सफलता प्राप्ति के योग बन रहे है। आत्मविश्वास की वृद्धि होगी। राज्य की तरफ से धन एवं मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। किसी धार्मिक प्रयोजन के कारण आप यात्रा कर सकते है। इस माह संतान पक्ष की तरफ से भी खुशखबरी प्राप्त होगी। शेयर बाजार में निवेश करना आपके लिए लाभदायक बन रहा है। इस समय आपको जमीन-जायदाद का सुख प्राप्त होगा। प्रेम प्रसंगों के कारण आप प्रसन्नचित्त रहेगें। माह के पूर्वाद्ध में आपको साझेदार के कारण कुछ नुकसान रहेगा तो उतरार्द्ध में कुछ लाभ मिलने की संभावना भी बन रही है। जीवनसाथी से तालमेल बनाये रखें। माह के उतरार्द्ध में आपको क्रोध पर नियंत्रण करना चाहिये। इस समय आवेश में आकर कोई गलत निर्णय नहीं लें। अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ परेशानी हो सकती है। परिवार में किसी विवाद के कारण परेशान रह सकते है। इस समय आपको इष्ट मित्रों का सहयोग नहीं मिल पायेगा। अपने भाईयों से विवाद के कारण परेशान होना पड सकता है। स्त्री वर्ग का सहयोग मिलने से राहत प्राप्त होगी।
उपाय:- हनुमान चालीचा का पाठ करें। बृहस्पति मंत्र ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः का जाप करें। कुत्ते को तंदूर की मीठी रोटी सरसों का तेल लगाकर खिलायें।


वृश्चिक राशि---
अगस्त 2012 वृश्चिक  वालों के लिये अगस्त महीना सामान्य फलप्रद बन रहा है। इस माह आपको मेहनत एवं परिश्रम से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इष्ट मित्रों का सहयोग सामान्य बना रहेगा। इस माह आपको कार्य व्यवसाय से लाभ की प्राप्ति होगी परन्तु लाभ प्राप्ति में उतार चढाव बना रहेगा। इस समय राज्य पक्ष की तरफ से भी धन एवं मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। इस माह आपको साझेदार के कारण परेशानी बन रही है। साझेदारी में लाभ की अपेक्षा खर्च में अधिकता रहेगी। माह के उतरार्द्ध में स्वास्थ्य में कमजोरी के कारण परेशान रह सकते है। इस समय शनि का तुला में प्रवेश होने से आपको मानसिक रूप से परेशान होना पड सकता है। इस समय आपकी किसी कार्य में रूचि कम ही बनेगी। अपने आपको संघर्ष करने के लिये तैयार रखना चाहिये। विद्यार्थियों को इस माह विद्याध्ययन में पूर्ण एकाग्रता रखनी चाहिये। जीवनसाथी से भी व्यर्थ ही मतभेद की स्थिति बन रही है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर परेशान होना पड सकता है।
उपाय:- हनुमान चालीचा का पाठ करें। राहु यंत्र धारण करें एवं कुत्ते को तंदूर की मीठी रोटी खिलायें।


धनु राशि---
अगस्त 2012 आपको इस माह के पूर्वार्द्ध में संघर्षो का सामना करना पडेगा एवं कठिन संघर्ष के पश्चात लाभ की प्राप्ति होगी। इस समय अपने परिवार वालों का अपेक्षित सहयोग मिलने से राहत प्राप्त होगी। शेयर बाजार में निवेश करने से भी लाभ प्राप्ति होगी। माह के उतरार्द्ध में शेयर निवेश में सावधानी बरतें। इस समय आपको संतान पक्ष की तरफ से खुशखबरी प्राप्त हो सकती है। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस माह आपके शत्रुओं का शमन होगा। इष्ट मित्रों का अपेक्षित सहयोग मिलने से आप प्रसन्न रहेगें। पूर्वार्द्ध में आपके आत्मविश्वास में कमी होगी। इस समय राज्य की तरफ से भी कुछ परेशानी उठानी पड सकती है। जीवनसाथी के कमजोर स्वास्थ्य के कारण आपको परेशानी उठानी पड सकती है। जीवनसाथी से मधुर संबंध बनायें। साझेदारी से आपको कुछ नुकसान उठाना पड सकता है। इस माह विद्यार्थियों को विद्याध्ययन में परेशानी रहेगी। प्रेम प्रसंग में निराशा रहेगी। अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। इस माह यात्रा से विशेष लाभ की प्राप्ति नहीं होगीं। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। आपको उदर विकार के कारण परेशानी उठानी पड सकती है। संगीत व नृत्य के क्षे़त्र में कार्य करने वाले के लिये समय अनुकूल नहीं है।
उपाय:- बुधवार के दिन 250 ग्राम मूंग सिर पर से सात बार उसारकर पक्षियों को खिलायें। केसर का तिलक लगायें। राहु यंत्र धारण कर राहु मंत्र का जाप करें।


मकर राशि---
अगस्त 2012 मकर राशि वालों को इस माह कुछ राहत प्राप्त होगी। इनके कार्य व्यवसाय में वृद्धि का योग बन रहा है। इस समय उदर विकार के कारण परेशान हो सकते है। यदि डायबिटीज से ग्रस्त हैं तो इस माह अपेक्षित सावधानी बरतें। आपके खर्च में कमी रहेगी। इस माह आपको अनिद्रा के कारण परेशान होना पड सकता है। साझेदारी में आकस्मिक अवरोध के कारण निराशा रहेगी। शेयर बाजार में निवेश करना आपके लिये शुभ नहीं बन रहा है। इस माह शेयर में निवेश सोच समझकर करना चाहिये अन्यथा आकस्मिक नुकसान उठाना पड सकता है। प्रेम-प्रसंग को लेकर विवाद हो सकता है। इसके कारण आपको शत्रु पक्ष से कष्ट हो सकता हैं। जमीन जायदाद में निवेश कर सकते है। इस समय आप दो पहिया अथवा चार पहिया वाहन खरीद सकते है। अपने स्वंय के मकान का निर्माण भी संभव है। महिलाओं को इस समय सावधानी बरतनी चाहिये, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिये। भाइयों का अपेक्षित सहयोग मिलता रहेगा। राज्य पक्ष की तरफ से कुछ परेशानी बन रही है। विद्यार्थियों का मन विद्याध्ययन में लगेगा। संचार, नृत्य, संगीत के क्षेत्र में कार्य करने वालों को अनुकूल समय का इंतजार करना चाहिये।
उपाय:- सूर्य भगवान को अध्र्य देवें एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। शुक्रवार के दिन चीअियों को बूरा डालें। श्रीयंत्र धारण करें।


कुंभ राशि---
अगस्त 2012 कुंभ राशि वालों को इस माह कुछ राहत प्राप्त होगी। आपके स्वास्थ्य में सुधार होने लगेगा। इस माह के पूर्वार्द्ध में संघर्ष रहेगा परन्तु उतरार्द्ध में धीरे-धीरे आपके कार्यों में वृद्धि होने लगेगी। इस समय भी आपको खर्च अधिक रहेगा। आप कम लाभ प्राप्त कर अपने कार्य को प्रगति दे सकते है। इस माह आपको शेयर बाजार से भी आकस्मिक लाभ की प्राप्ति होगी। इष्ट मित्रों का सहयोग मिलने से आपके कार्य बनते जायेगें। विद्यार्थियों के लिये यह मास विद्याध्ययन के प्रति सजग रहने का है। इस समय आपको पूर्ण मन से अपने लक्ष्य की तरफ बढने की कोशिश करनी चाहिये। इस समय आप जमीन में निवेश कर सकते है। निवेश करने से पूर्व आवश्यक दस्तावेजों की जांच अवश्य कर लें अन्यथा धोखा हो सकता है। जीवनसाथी के कमजोर स्वास्थ्य को लेकर भी आपको परेशान होना पड सकता है। प्रेम-प्रसंग को लेकर आप उत्साहित रहेगें परन्तु शत्रुता के कारण नुकसान भी उठाना पड सकता है। यात्रा करते समय एवं वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। नुत्य, संगीत व खेल क्षेत्र में कार्यरत लोगों को सफलता प्राप्त होगी।
उपाय:- गुरूवार का व्रत करें एवं गाय को गुड व चने की दाल खिलायें। मंगल यंत्र धारण करें। श्रीयंत्र की पूजा-अर्चना करें।


मीन राशि---
अगस्त 2012 मीन राशि वालों के लिये अगस्त महीना कुछ परेशानीदायक बन रहा है। इस माह आपको कार्य व्यवसाय से लाभ की प्राप्ति तो होगी परन्तु खर्च की अधिकता के कारण आर्थिक स्थिति सामान्य ही रहेगी। इस समय साझेदारी के कार्यो से लाभ की प्राप्ति होगी। इष्ट मित्रों का अपेक्षित सहयोग नही मिलने से कुछ बाधा रहेगी। जमीन जायदाद में निवेश करना आपके लिये शुभ नही बन रहा है। इस माह शेयर बाजार में निवेश करने से आपको सामान्य लाभ की प्राप्ति ही होगी। इसलिये निवेश सोच समझकर करें। संतान के कमजोर स्वास्थ्य के कारण परेशानी डठानी पड सकती है। प्रेम-प्रसंग के कारण बदनामी हो सकती है। पिता से अनबन हो सकती हैं। इस माह आपको लेखन कार्यो से लाभ नहीं मिलेगा। इस माह शनि का पुनः तुला राशि में गोचर आपकी आर्थिक स्थिति में उतार-चढाव वाला बन रहा है। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी परन्तु स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के कारण पीडित रहेगें। जीवनसाथी के कमजोर स्वास्थ्य को लेकर परेशान रह सकते हैं। इस माह साझेदारी उतरार्द्ध में टुट सकती है। अपनी वाणी को मधुर बनायें। धैर्य एवं संयम से काम करें महत्वपूर्ण निर्णयों को सलाह लेकर ही पारित करें।
उपाय:- शनि मंत्र ओम शं शन्यै नमः का जाप करें। सूर्य भगवान को अध्र्य देकर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। बंधन दोष निवारण कवच स्थापित कर पूजन करें।

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